राजेश मंढोत्रा। शिमला:
राज्य में आगामी नवंबर-दिसंबर में होने वाले पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव से पहले नई पंचायतों के गठन का फॉर्मूला तैयार हो गया है। पंचायती राज विभाग ने कैबिनेट की पिछली बैठक में इस बारे में एक कॉमन फॉर्मूला प्रेजेंटेशन के जरिए रखा था।
इस पर कैबिनेट ने अपनी सहमति दे दी है। नई बात ये है कि नई पंचायतों का गठन इस बार पंचायत के वर्तमान मुख्यालय से दूरी के आधार पर नहीं होगा। इसके लिए घरों या आबादी की संख्या को मूल आधार बनाया जाएगा। हालांकि अंतिम फैसले के लिए 25 फरवरी को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में इसे दोबारा रखा जा रहा है। अब तक ये साफ है कि मुख्यालय से दूरी नहीं, बल्कि आबादी नई पंचायतों के गठन का आधार होगा। इसकी वजह ये है कि पंचायत मुख्यालय से दूरी को मापने का कोई सरकारी डाटा उपलब्ध नहीं है। दूरी भी पैदल, सड़क मार्ग से और एरियल डिस्टेंस से अलग अलग निकल रही है।
इसलिए हाउसहोल्ड की संख्या पर ही फैसला होगा। दो और आधार भी इसके लिए बनाए जा रहे हैं। राज्य में इसी साल पंचायती राज चुनाव होने हैं और इससे पहले सरकार को ये फैसला लेना है कि नई पंचायतों का गठन करना है या नहीं? इससे पहले राज्य में नई पंचायतों का गठन वर्ष 2005 में हुआ था। यानी अब 15 साल बाद ये प्रक्रिया अपनाई जा रही है। कुछ ऐसे आवेदन भी इस बार आए हैं, जहां एक पंचायत दो विधानसभा क्षेत्रों या दो विकास खंडों में बंटी हुई है।
ये मसला पुनर्गठन से हल होगा। पंचायती राज विभाग का कहना है कि पहले नई पंचायतें बनाने पर फैसला होगा और इसके बाद पुनर्गठन के आवेदनों पर विचार किया जाएगा। वर्तमान में राज्य में 3226 ग्राम पंचायतें काम कर रही हैं।
460 पंचायतों से आए हैं विभाजन के आवेदन
वर्तमान भाजपा सरकार को अब तक कुल 3226 ग्राम पंचायतों में से कुल 460 पंचायतों से नई पंचायत के गठन के आवेदन मिले हैं। इन सभी को प्रोसेस किया जा रहा है। यदि सरकार इस बारे में सख्त फॉर्मूला लगाए तो भी कम से कम 15 पंचायतें तो नई बनानी होंगी। लेकिन यदि खुले मन से विचार हो तो 100 से ज्यादा नई पंचायतें बन सकती हैं। चूंकि पंचायतों के गठन के मसले हाईकोर्ट भी जाते हैं, इसलिए पंचायती राज विभाग एक कॉमन फॉर्मूले के आधार पर ही ये फैसला लेगा।
लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव भी लेंगे डीसी
25 फरवरी को कैबिनेट में कोई फैसला होने के बाद पंचायती राज विभाग पंचायतों के गठन की अधिसूचना जारी करेगा। इसके बाद संबंधित जिलों के डीसी एक अधिसूचना जारी कर उस सभी पंचायतों के लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव मांगेंगे, जहां पंचायत का विघटन होना होगा। जहां ज्यादा आपत्ति होगी, वहां पुनर्विचार संभव है। एक महीने का समय आपत्तियों को देने के बाद डीसी नई पंचायत के गठन की अधिसूचना जारी करेंगे और नई अधिसूचना के अनुसार पंचायती राज चुनाव होंगे।