राजीव भनोट। ऊना:
कोटलां कलां के राधा कृष्ण मंदिर में चले रहे वार्षिक महासम्मेलन के दसवें व भागवत के पांचवे दिन पंडाल में बैठे भक्त राधे राधे के नाम से झूम उठे। सोमवार को सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लगनी शुरु हो गई। सैकड़ों भक्तों ने बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। बांके बिहारी की आरती से कथा की शुरुआत की गई।
कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने भगवान कभी भी किसी की धन व संपति से खुश नहीं होते, बल्कि वे प्रेम के भूखे हैं। आपके द्वारा किया गया सच्चा प्रेम ही भगवान को प्रसन्न करता है। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध के पास एक राजा आए। उन्होंने अपनी संपति व धन का कुछ हिस्सा उन्हें अर्पित किया, तो महात्मा बुद्ध ने हाथ से इशारा कर उसे एक तरफ रखने को कहा। वहीं एक महिला अपना जुठा आनार लेकर आई और कहा कि आपने बहुतों को मुक्ति दी है, क्या मेरी ये भेंट स्वीकार करेंगे, जिस पर महात्मा बुद्ध ने उस अनार को ग्रहण किया। राजा ने कहा कि महात्मा अपने भेदभाव किया है, जिस पर महात्मा बुद्ध ने कहा कि हे राजा आप अपनी संपति में से कितना लाए।
राजा ने कहा कि कुछ हिस्सा। तब महात्मा ने कहा कि राजन ये महिला तो अपना वह ले आई, इसलिए इसका भाव व प्रेम बढ़ा है। आचार्य ने इस पर भजन राम ही केवल प्रेम प्यारा सुनाया। उन्होंने कहा कि प्रेम से बड़ा कुछ नहीं है। अभिमान किस बात का करें। उन्होंने कहा कि अभिमान नहीं करना चाहिए। उन्होंने कथा के दौरान पूतना वध का प्रसंग भी सुनाया। परमात्मा श्री कृष्ण की लीलाओं में पूतना के चरित्र पर व्याख्यान करते हुए महाराज ने कहा कि कंस ने स्वयं को ही भगवान मान लिया। कंस से बड़ा कोई न हो इसके लिए बालक रुप लिए भगवान कृष्ण को मारने के लिए उसने पूतना को भेजा। लेकिन भगवान ने पूतना को भी मोक्ष प्रदान किया। इस दौरान महाराज ने श्री कृष्ण की नटखट लीलाओं का भी वर्णन किया।
आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान के 24 अवतार हैं जिनमें से 23 अवतार वो ले चुके हैं और 24वां इस कलयुग में पापियों के नाश के लिए लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रेम करना है तो हरि से करो। इंसान से क्या प्रेम करना जो धोखा देता है। इंसान धोखा देता है, लेकिन भगवान नहीं। कहा कि भागवत कथा इंसान को न सिर्फ सद्मार्ग पर चलाती है, बल्कि ह्रदय में बसाने से हरि से मिलाती है। उन्होंने कहा कि हमारी जीभा पर हर समय कृष्ण का नाम होना चाहिए। हर समय हरे कृष्ण हरे कृष्ण का जाप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते हैं और मनुष्यों का उपयोग करते हैं।
ठीक तो यह है कि हम असल में वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें। इसलिए हमें हमेशा प्रेम की भाषा बोलनी चाहिए जिसे बहरे सुन सकते हैं और गुंगे समझ सकते हैं। इस दौरान 1008 गरीबदासी संत चेतनानंद महाराज भूरी वाले, दातारपुर के महंत रमेश, देहलां के संत बाबा जीत सिंह, बाबा बालक नाथ मंदिर हरोली के संत शिवनाथ, सूबोआणा के संत कुलदीप सिंह, रदौर हरिायाणा से ममता भाई, फगवाड़ा से बाबा गुरचरण सिंह सहित अन्यों संतो ने कथा का श्रवण किया।
कृष्ण का नाम जपने से होता है उद्धार: बाबा बाल
राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा कि इंसान को हर समय कृष्ण का नाम जपते रहना चाहिए। जो कृष्ण का नाम जपता है उसका उद्धार निशिचत है। उन्होंने कहा कि हरि नाम से सच्चा कोई नाम नहीं। उन्होंने कहा कि हर किसी को एकादशी का व्रत रखना चाहिए, व्रत रखने से इंसान भगवान के करीब हो जाता है। एकादशी का व्रत रखने से मानव जीवन का कल्याण होता है।
धर्म से जोड़ रहे बाबा बाल
जिलाधीश ऊना संदीप कुमार ने राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं कथा का भी सुमिरन किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने ऊना में जिस प्रकार से ज्ञान की गंगा को बहाया है, यह अपने आप में अद्भुत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ऊना का गौरव हैं, जो हिमाचल को धर्म के क्षेत्र में आगे ले जाने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सेवा के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज अग्रणी है। उन्होंने कहा कि धर्म के साथ लोगों को जोड़कर अच्छे कार्यों की ओर ले जा रहे हैं, यह बहुत प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि यहां आकर मन को शांति मिली है और कथा का सुमरिन करने से आत्मा को भी प्रसन्नता हुई है। उन्होंने कहा कि धर्म के कार्यों से हम सबको मार्गदर्शन मिलता है।