हमीरपुर:
सरकार के लापरवाह रवैये के कारण प्रदेश की 54 नगर परिषदों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम अभी तक न लागू हो पाने के कारण अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार 1 अप्रैल से हर नगर परिषद को 1 लाख रुपये प्रतिमाह जुर्माना लगेगा। यह बात कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कही है।
राणा ने कहा कि एनजीटी ने इस संबंध में सरकार को 2018 में आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन हर मंच पर पर्यावरण की दुहाई देने वाली बीजेपी सरकार ने इन आदेशों को काफी हल्के में लिया और अब एनजीटी ने 5 लाख से कम आबादी वाले शहरी क्षेत्रों की नगर परिषदों से इस रूल को लागू न कर पाने की दशा में 1 लाख रुपये प्रति माह जुर्माने का फरमान सुनाया है। शहरी विकास विभाग खुद मान रहा है कि प्रदेश की 54 नगर परिषदों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल को लागू होने के लिए मात्र 1 महीना बचा है। उसके बाद जुर्माना वसूला जाना शुरू हो जाएगा।
हालांकि एनजीटी ने अपनी सुनवाई जो कि 24 फरवरी को होनी थी उसको 20 मार्च तक एक्सटेंड कर दिया है लेकिन यह तय है कि प्रदेश की अधिकांश नगर परिषदों को यह जुर्माना लगेगा। क्योंकि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अभी तक नगर परिषदों के पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हुआ है। करोड़ों रुपये बजट के बावजूद भी सरकार अगर प्रदेश के कूड़े-कचरे के प्रबंधन में नाकाम रही है तो इसका दोष नगर परिषदों से ज्यादा सरकार की कारगुजारी पर भी जाता है।
जुमला बन जाएगा मोदी का डिजिटल इंडिया
शिमला। हिमाचल कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कहा है कि देश में निरंतर चल रहे भारी आर्थिक मंदी के दौर में अब मोदी का डिजिटल इंडिया भी जुमला साबित होने वाला है। टेलीकॉम सेक्टर सरकार की चुप्पी के कारण बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गया है। राणा ने कहा कि सरकार की चुप्पी और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद अब यह तय हो चुका है कि टेलीकॉम सेक्टर की बची कंपनियां 1 लाख 47 हजार करोड़ एग्रीगेट ग्रॉस रेवेन्यू का बकाया चुकाएं, लेकिन इतना पैसा कंपनियों के पास है नहीं। कंपनियां सरकार और सुप्रीम कोर्ट से राहत की गुहार भी लगा चुकी हैं।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यह सरकार द्वारा तय किया गया नियम है और अब यह बकाया चुकाना ही होगा। इसी कड़ी में करीब 2 लाख करोड़ रुपये का बकाया गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया, ऑयल इंडिया व पावर ग्रिड को भी उस सेवा के लिए चुकाना पड़ेगा जो टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों ने उन्हें कभी दी ही नहीं, क्योंकि गैस पाइप लाइन के साथ ऑप्टीकल फाइबर लाइन बिछाने की एवज में यह स्पेक्ट्रम की फीस उन्हें अब भरनी होगी। राणा ने कहा कि कुल मिलाकर अब आने वाले दौर में सस्ता डाटा व सस्ती कॉल का जमाना हवा हो जाएगा, क्योंकि सरकार इस मामले से पूरी तरह बचती हुई नजर आ रही है।