हरीश चौहान : गोहर।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की बैठक का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला प्रभारी खूब राम ने की। इस मौके पर उपस्थित किसानों ने बल्ह कार्यकारिणी का गठन किया। ताकि किसानों को आड़े आ रही समस्याओं को समय समय पर सरकार तथा प्रशासन तक पहुंचाई जा सके।
बैठक में सर्वसम्मति से देवी राम को यूनियन का अध्यक्ष चुना गया। जबकि मोहन लाल सैनी को उपाध्यक्ष, तारा चंद भाटिया को महासचिव, प्रकाश चंद, दलाल सिंह को कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। कार्यकारिणी अन्य किसानों को शामिल करने के लिए नवनियुक्त अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है। नव नियुक्त पदाधिकारियों ने बैठक में उपस्थित किसानों को आश्वस्त किया है कि वह किसानों के हित के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और किसानों की हो रही अनदेखी से कभी भी कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के मंडी जिला प्रभारी खूब राम ने कहा कि सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। जिससे आए दिन किसान खेतीबाड़ी से पलायन करने को मजबूर हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज किसान चाहे पारम्परिक खेती कर रहा है चाहे नगदी। लेकिन आवारा पशुओं के बढ़ते आंतक के कारण किसान फसल का एक चौथाई भाग भी अपने घर को नहीं ले जा पा रहा है। किसानों की आर्थिक दशा दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। आवारा पशुओं के कारण फसल से किसानों को बीज खाद और जोताई का तनिक भी खर्चे का हिस्सा नसीब नहीं हो रहा है। अगर फसल का कुछ हिस्सा मिल भी जाएं तो किसानों को अपने उत्पादन के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि खेतों से उन्हें बेहतर कमाई नसीब हो, उसके लिए किसान बैंकों से कृषि आधारित ऋण ले लेता है। लेकिन नौबत यह बढ़ती जा रही है कि फसल के घर पहुंचने से पूर्व ही किसानों के खेतों के खेत उजड़े जा रहे हैं। कर्जे से दबे किसान जहां एक ओर बैंकों से लिए हुए कृषि ऋण को लौटा पाने में असमर्थ रहता है। वहीं वह अपने परिवार को भरपेट खाना खिलाने से भी मोहताज होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को उजाड़ रहे आवारा मवेशियों के समाधान के लिए समय रहते पुख्ता इंतजाम करें, साथ ही जहां अन्य पूंजीपतियों के हजारों करोड़ के कर्जे माफ किए जा रहे हैं। उसी तर्ज पर किसानों के कृषि लोन भी माफ कर उन्हें राहत दें। खूब राम ने कहा कि अगर सरकार का किसानों के हित में वहीं पुराना घिसापिटा भाषण रूपी रवैया रहा, तो अब किसान सड़कों पर उतरने से कतई गुरेज नहीं करेंगे।