हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय :
प्रदेश में सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं पर अमीर वर्ग के कुंडली मारने की प्रवृत्ति हिमाचल में नई नहीं है। यह लालच कई लोगों के मन में रहता है। पकड़े जाने के बाद भी इस काम को अंजाम देने से वे पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे कई उदाहरण प्रदेश में देखने को मिल जाएंगे।
मनरेगा जैसी योजना को भी लोग नहीं छोड़ते हैं। इसमें भी संपन्न परिवारों के लोग दिहाड़ी लगाने से गुरेज नहीं करते हैं। इसके नाम पर जो धांधलियां होती हैं। उनकी फेहरिस्त तो काफी लंबी है। इसी तरह आईआरडीपी में भी कई संपन्न परिवारों के लोग शामिल हो जाते हैं। मामले उजागर होने के बाद कुछ तो बाहर निकाल दिए जाते हैं, वहीं कुछ ताउम्र गरीबों का हक मारते रहते हैं। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने आईआरडीपी परिवारों के घरों के बाहर लिखने की कवायद शुरू की है। कुछ ही लोगों पर इसका असर हुआ है। कई लोग अपने आलिशान मकानों में अभी भी ‘मैं गरीब हूं’ लिखवाने में शर्म महसूस नहीं करते हैं। इस तरह के कई उदाहरण मिल जाएंगे।
करीब-करीब सभी सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग होता है। इसका अनुपात कम या ज्यादा होता है बस। अब इस कड़ी में एक और नाम जुड़ा है, वो है हिमकेयर योजना। यह योजना लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य लाभ देने के लिए शुरू की गई है। इसे उन लोगों के लिए शुरू किया गया है, जो अपना इलाज करवाने में असमर्थ हैं और गैर सरकारी क्षेत्र में काम करते हैं। मगर कुछ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स ने भी हिमकेयर कार्ड बनवा लिए हैं। यह सरकारी योजना के दुरुपयोग का ही उदाहरण है। इस पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए। लोग इस प्रवृत्ति को छोडें, इसके लिए कड़ा रुख अपनाना चाहिए।