इन्वेस्टर मीट : अफसरों को लेकर शिमला से उड़ेगा हेलिकॉप्टर, मुख्यमंत्री कल आते ही लेंगे तैयारियों पर बैठक, एक लाख करोड़ के एमओयू पर सरकार की नजर
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य की पहली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के लिए सरकारी अमला धर्मशाला में रविवार से जुट जाएगा। दोपहर बाद शिमला से सरकारी हेलिकॉप्टर इन्वेस्टर मीट के आठ प्राथमिक सेक्टर्स के सचिवों और विभागाध्यक्षों को लेकर धर्मशाला के लिए उड़ान भरेगा। सभी सचिवों को धर्मशाला पहुंचकर तैयारियों का जायजा लेना है।
सीएम जयराम ठाकुर सोमवार सुबह शिमला से धर्मशाला जाएंगे और धर्मशाला में तैयारियों पर अहम बैठक लेंगे। इस बैठक से पहले अपने अपने विभागों की कंप्लायंस रिपोर्ट सभी को देनी होगी। इन्वेस्टर मीट में चूंकि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ पांच और केंद्रीय मंत्री भी आ रहे हैं, इसलिए सरकार कोई भी कमी नहीं रहने देना चाहती। इन्वेस्टर मीट का शुभारंभ 7 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और वह करीब 4 घंटे धर्मशाला में रुकने के बाद लंच के बाद दिल्ली लौटेंगे। दूसरे दिन 8 नवंबर को अमित शाह शाम तक मीट का समापन करेंगे और रात को धर्मशाला में रुकने के बाद अगली सुबह लौटेंगे।
मीट के कारण इस बीच शिमला सचिवालय सूना रहेगा, क्योंकि पीएम और अमित शाह के कारण सभी मंत्री एवं विधायक धर्मशाला में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे। विभागों के सचिव भी इस दौरान धर्मशाला में ही होंगे। शिमला सचिवालय में 10 नवंबर से कामकाज सामान्य हो पाएगा। इन्वेस्टर मीट के बहाने सरकार की नजर एक लाख करोड़ के एमओयू साइन करने पर है। सरकार ने पहले इसके लिए 85000 करोड़ का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य तक मीट से पहले ही सरकार पहुंच चुकी है।
आज सीएम देंगे इन्वेस्टर मीट की जानकारी
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर धर्मशाला रवाना होने से पहले रविवार को शिमला में मीडिया से रू-ब-रू होंगे। वह इन्वेस्टर मीट के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे और साथ में ये भी बताएंगे कि एमओयू वाले इस निवेश को धरातल पर लाने की क्या कार्ययोजना है? संभव है कि मुख्यमंत्री कांग्रेस की ओर से इन्वेस्टर मीट पर दिये जा रहे बयानों पर भी कोई प्रतिक्रिया दें।
इन्वेस्टर मीट के बाद प्रशासनिक फेरबदल संभव
सचिवालय के गलियारों में चर्चा है कि इन्वेस्टर मीट के बाद प्रदेश सरकार प्राशासनिक फेरबदल कर सकती है। लोकसभा चुनावों के बाद सरकार ने अफसरों के तबादले किए थे, लेकिन तब सरकार ने अधिकतर जिलों में ही अधिकारियों को बदला। सचिवालय स्तर पर बदलाव ज्यादा नहीं हुए थे। अभी तक कई प्रधान सचिवों के पास कई-कई विभागों का कार्यभार है, तो कुछ अधिकारी मात्र एक-एक ही विभाग हैं।