एंबुलेंस रोड के नाम पर फिटनेस टेस्ट संभव, पर एफआरए बड़ी बाधा, कई विधायकों की मांग के बाद सीएम बोले, एग्जामिन करेंगे यह मसला
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। तपोवन : सीएम ने कहा राज्य सरकार पंचायतों, वन विभाग या अन्य एजेंसियों द्वारा बनाई गई ग्रामीण एवं छोटी सड़कों की मरम्मत के लिए पासिंग की संभावनाओं पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि ऐसी सड़कों का फिटनेस टेस्ट एंबुलेंस रोड के नाम पर संभव है, हालांकि इसमें एफआरए बड़ी बाधा है।
वह जवाहर ठाकुर और होशियार सिंह के सवाल का जवाब दे रहे थेे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य लोक निर्माण विभाग सड़कों की मरम्मत पर हर साल करीब 426 करोड़ खर्च करता है। यह बजट हर साल बढ़ाया जा रहा है। लेकिन इसे छोटी ग्रामीण सड़कों पर खर्च नहीं किया जा सकता, क्योंकि 1980 में फॉरेस्ट राइट्स एक्ट के लागू होने के बाद ये सड़कें पीडब्ल्यूडी का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विभाग को ऐसे निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी ग्रामीण सड़कें जो अभी पास नहीं हैं, लेकिन लोगों के जीवन को आसान बनाती हैं, उसकी मरम्मत का प्रावधान किया जाए।
ऐसा प्रावधान हमने विधायक निधि से भी किया है। कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि उन्होंने यह मसला प्लानिंग की बैठक में भी उठाया था। चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा ने अपने चुनाव क्षेत्र में 82 ऐसी सड़कें बताई, जहां बड़े-बड़े ट्रक चलते हैं, लेकिन ये पास नहीं हैं। रेवन्यू रिकॉर्ड में भी 8 मीटर सड़क दर्ज है, फिर भी इन्हें पीडब्ल्यूडी नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सारे मसले को नए सिरे से एग्जामिन करेंगे।
जीपेबल पास हो जाए तो राहत मिलेगी : बिंदल
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने भी आसन से यह तर्क दिया कि यदि ऐसी ग्रामीण सड़कों को जीपेबल भी पास कर दिया जाए तो लोगों को राहत मिलेगी। क्योंकि पास न होने की सूरत में इनमें यदि हादसा हो जाए तो कुछ नहीं मिलता। मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि इस बारे मेें निर्देश दे दिए गए हैं। जहां एफआरए का इशु नहीं है, वहां ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं है।