हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय : प्रदेश में मात्र दो ही जिलों में खाद्य निरीक्षक होने से यह साफ हो गया है कि यहां लोगों की सेहत रामभरोसे ही है। शिमला और चंबा को छोड़़कर प्रदेश के किसी भी जिला में खाद्य निरीक्षक नहीं हैं। इन हालातों में रूटीन निरीक्षण तो दूर, कई महीनों से खाद्य पदार्थों के सैंपल तक नहीं भरे गए हैं।
ऐसे में प्रदेश में बिकने वाली खाद्य वस्तुएं लोगों की सेहत बिगाड़ सकती हैं। यहां बिना निरीक्षण के बिक रहीं खाद्य वस्तुएं खाना लोगों के लिए जोखिम उठाने के बराबर ही है। यह इस वर्ष की ही बात नहीं है, कई सालों से यही हालात बने हुए हैं। प्रदेश में खाद्य निरीक्षकों के पद अरसे से खाली पड़े हैं, लेकिन इन्हें भरने की जहमत कोई नहीं उठाता है। प्रदेश में त्यौहारों के सीजन में लोगों का स्वास्थ्य बिगडऩे का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस दौरान बाहरी राज्यों से ज्यादा मिठाई प्रदेश में आती है। वैसे तो यह सिलसिला सालभर चलता रहता है, लेकिन त्यौहारों के समय में मांग बढऩे के कारण ऐसा होता है।
इस दौरान मिलावटी मिठाई की खूब सप्लाई होती है। इसकी बड़ी वजह बढ़ी हुई मांग को पूरी करने की होड़ भी रहती है। विडंबना यह है कि प्रदेश के लोग हर साल इन मिठाइयों को खाते हैं। पहले जब सैंपल भरे भी जाते थे तो वे मात्र औपचारिकता ही होते थे। कारण इनकी रिपोर्ट में होने वाली देरी बनती थी। जब तक सैंपलों की रिपोर्ट आती थी, तब तक तो लोग इन मिठाइयों को खा चुके होते थे।
हमेशा रिपोर्ट त्यौहारोंं का सीजन निकलने के बाद ही आती थी। यदि कोई दोषी पाया भी जाता था तो उसे जुर्माना इस धंधे में होने वाले मुनाफे से कम की लगता था। प्रदेश सरकार को शीघ्र खाद्य निरीक्षकों के रिक्त पद भरने चाहिए, ताकि समय-समय पर खाद्य वस्तुओं का निरीक्षण किया जा सके।