हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय : प्रदेश के आगनबाड़ी केंद्रों में डाइट मनी दोगुनी होने से नौनिहालों की सेहत सुधरेगी। ऐसा 15वें वित्तायोग से मिली सौगात के कारण होगा। ग्लोबल हंगर इंडैक्स में भारत को खराब रैंकिंग मिली थी, जिसका संज्ञान 15वें वित्तायोग ने लिया है।
यही कारण है कि बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए वित्तायोग ने इंटीग्रेटिड चाइल्ड डेवल्पमेंट स्कीम में ही राज्यों को 7735 करोड़ का अनुदान देने का फैसला लिया है। हिमाचल को इसी अनुदान में से अगले साल 45 करोड़ अतिरिक्त मिलेंगे। इसी से नौनिहालों की वर्ष 2020-21 के दौरान डाइट मनी दोगुनी रहेगी। ये आवंटन प्रदेश में 6 माह से 6 साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं की संख्या के आधार पर किया गया है। यह सौगात आंगनबाड़ी के मार्फत दिए जाने वाले पूरक पोषाहार के रूप में मिलेगी। इसके अलावा गर्भवती और धात्री महिलाओं को अलग से पूरक पोषाहार दिया जाता है।
पहले सामान्य बच्चों के लिए 8 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन की डाइट मनी तय थी। वहीं कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए यह राशि 12 रुपये और गर्भवती महिलाओं के लिए 9.50 रुपये थी। यह राशि पर्याप्त नहीं थी। अब सभी कैटेगिरी पर यह राशि दोगुनी हो जाएगी। इसके साथ ही सभी कैटेगिरी में 3 रुपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति और देने का ऐलान भी किया गया है।
यह राशि आंगनबाड़ी में दिए जा रहे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और वैरायटी में भी सुधार लाएगी। वित्तायोग ने नौनिहालों की सेहत सुधारने की दिशा में अपना काम पूरा कर दिया है। अब जिम्मा प्रदेश सरकार का है कि वह इस सौगात का लाभ नौनिहानों तक पहुंचाए। यदि प्रदेश सरकार ने नौनिहालों तक पूरी डाइट पहुंचाना सुनिश्चित की तो उनके स्वास्थ्य में खासा सुधार देखने को मिलेगा।
दिल्ली से सबक लें सभी दल
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के पक्ष में आए जनादेश से अन्य सभी पार्टियों को सबक लेना चाहिए। दिल्ली के मतदाताओं का यह फैसला राजनीतिक दलों में ही नहीं, देश की जनता में भी अलग तरह का संदेश देने वाला है। दिल्ली के मतदाताओं ने एक बार साफ कर दिया है कि वह देश की राजधानी के नागरिक हैं और उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का अच्छा बोध है। इससे पहले लोकसभा चुनावों में बीजेपी का भरपूर साथ देकर यह बताया दिया कि वे देश की बागडोर किसे सौंपना चाहते हैं। इसी तरह महानगर पालिका में भी बीजेपी को काम करने का मौका दिया। विधानसभा चुनावों में तीसरी बार आम आदमी पार्टी के पक्ष में खुलकार वोट डाले। इससे साफ है दिल्ली के वोटर काम के लिए वोट देते हैं।
वह इतने जागरूक हैं कि उन पर किसी प्रचार का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। काम से बड़ा मुद्दा उनके लिए कोई नहीं है। वह लोकसभा, विधानसभा और महानगर पालिका चुनावों में वोट देने के लिए अलग-अलग नजरिया रखते हैं। वे किसी पार्टी से बंधते नहीं हैं। केजरीवाल सरकार से पहले शीला दीक्षित के कामों को भी काफी पसंद किया गया था। यही वजह थी कि उनका भरपूर साथ यहां के वोटरों ने दिया था।
जब उन्हें लगा कि कांग्रेस उनके काम ज्यादा अच्छे से नहीं कर पाएगी तो आम आदमी पार्टी को चुना। अब उसके कामों पर मुहर लगा रहे हैं। कांगे्रस दिल्ली में इतनी मजबूत थी, उसके शून्य पर सिमटने का यही कारण है। दिल्ली के जागरूक वोटरोंं ने साबित कर दिया है कि उनके लिए कोई देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी या फिर विश्व की बड़ी मायने नहीं रखती है। उनके लिए काम ही मायने रखता है। फिर पार्टी चाहे कुछ माह या साल पुरानी ही क्यों न हो। दरअसल यही लोकतंत्र की खूबसूरती है, जिसका उदाहरण दिल्ली की जनता ने देश के सामने पेश कर रही है।