राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आईजीएमसी पहुंचे बच्चे, उम्र 2 से 16 साल के बीच, करीब डेढ़ करोड़ खर्चा सरकार ने
अर्चना वर्मा। शिमला : हृदय रोग अब उम्र का लिहाज भी नहीं कर रहा। बचपन में ही बच्चे इस रोग की गिरफ्त में आ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कारण मिले आंकड़े बताते हैं कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पिछले दो साल में करीब 250 बच्चों की सर्जरी की गई हैं। इसमें 76 फीसदी हार्ट से संबंधित हैं।
अन्य मामले शरीर में आई जन्मजात खामियों को दूर करने के हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के दौरान ये बच्चे मिले हैं। इनमें आंगनबाड़ी और निजी स्कूलों के बच्चे भी शामिल हैं। आईजीएमसी में जिन 250 बच्चों की सर्जरी हुई है, उनकी उम्र 2 से 16 साल के बीच है। चूंकि ये सारा इलाज फ्री है, इसलिए सरकार ने इस पर करीब डेढ़ करोड़ रुपया खर्च किया है। हार्ट सर्जरी में कुछ मेजर सर्जरी हैं तो कुछ माइनर। एंजियोग्राफी और वोल्व रिपेयर के भी कुछ मामले हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष जहां इस कार्यक्रम के तहत 314 बच्चों को ईलाज किया गया था, तो वहीं इस साल अभी तक सिर्फ 55 बच्चे ही सर्जरी के लिए आए हैं। हालांकि अभी दो महीने और शेष हैं।
आईजीएमसी प्रशासन के अनुसार 1 जनवरी, 2018 से अभी तक कुल 369 बच्चों का ईलाज करवाया गया है। इस पर सरकार वर्ष 2018 में 93 लाख रुपये खर्च कर चुकी है। और 2019 में 31 लाख का खर्च सरकार अभी तक कर चुकी है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम हिमाचल सरकार नेंशनल हेल्थ के तहत इस योजना को चला रही है। इसका अधिक तर फायदा 18 साल के उम्र के बच्चों को मिल रहा है इसमें स्कूल जाने और न जाने वाले दोनो तरह के ही बच्चे है।
आईजीएसी के डॉक्टर राहुल गुप्ता के अुनसार गर्भवती महिलाएं यदि सतर्क रहें तो इन खामियों से बचा जा सकता है। गर्भावस्था के समय महिलाएं कम से कम दो बार अल्ट्रासाउंड जरूर करवाएं। महिलाओं को अगर पहले बच्चे के समय यदि कोई डिफेक्ट पता चल जाए तो दूसरे बच्चे का सही समय पर इलाज कर उसे ठीक किया जा सकता है। सरकार के द्वारा हर सरकारी अस्पताल में एक गायनोलोजिस्ट रखा है जिससे महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले ही चैकअप करवाना चाहिए।
बच्चों में मिल रही हैं इस तरह की बीमारियां
इस कार्यक्रम के तहत अस्पताल आने वाले बच्चों में करीब 13 किस्म की बीमारियां मिल रही हैं। ये बीमारियां बच्चों को जन्मजात होती हैं। इसमें दिल में छेद होना, कटा तालु, बालों का खराब होना, कटा होंठ, सुनाई न देना आदि इस तरह की कई बीमारियां शामिल हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से हार्ट से संबंधित बीमारियां बढ़ी हैं। इनका आईजीएमसी में मुफ्त में शुरू से आखिर तक इलाज होता है।
इसी महीने अब दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट करेगा आईजीएमसी
आखिरी हफ्ते में दो मरीजों को मिलेगा नया जीवन, 12 अगस्त को यहां पहली बार हुआ था ट्रांसप्लांट
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में दूसरी किडनी ट्रांसप्लाट इसी महीने होगा। नवंबर के आखिरी सप्ताह में ये सर्जरी रखी जा रही है। इसके लिए भी आईजीएमसी की डाक्टरों की टीम के साथ एम्स से आए डॉक्टर होंगे और इस दौरान दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इससे पहले 12 अगस्त को लंबी तैयारी के बाद पहली बार यहां किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। आईजीएमसी के डॉक्टरों ने एम्स के डॅाक्टरों की देखरेख में ये ट्रांसप्लांट किया था, जो पूरी तरह सफल रहा है।
इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आइजीएमसी के डॉक्टरों को बधाई दी थी और एम्स से आई टीम का आभार व्यक्त किया था। आईजीएमसी के इतिहास में ये पहला मौका था, जब अस्पताल इस तरह के ऑपरेशन का गवाह बना था। इसके लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. बंसल की अध्यक्षता में 18 सदस्यीय टीम आई थी।