विधि संवाददाता। शिमला
देवता बनाड़ और देवता देशमौली के आगमन का रोहडू के शराचली और जुब्बल तहसील के 6 गावों को अभी और इंतजार करना होगा। 300 वर्षों से अधिक चली आ रही पुरानी ब्रांशी परंपरा के खिलाफ देवता बनाड़ और देवता देशमौली को रोहडू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव मंदिर में ही कथित तौर पर रोके जाने के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने एसडीएम रोहडू व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू शिमला के आदेशों पर रोक लगाने के आदेश पारित किए।
एसडीएम रोहडू ने प्रत्येक वर्ष रोटेशन आधार पर शराचली क्षेत्र के 7 गावों में इन देवताओं की पूजा अर्चना में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों के खिलाफ पुरानी परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश दिए थे।
मामले के अनुसार शराचली क्षेत्र के 7 गांव झराशली अथवा झगटान, रोहटान, मंडल, जखनोर पुजारली, थाना, शील अथवा तुरन और ढाडी घूंसा के तीन आराध्य देवता देवता क्यांलू महाराज, देवता बनाड़ और देवता देशमौली हैं। देवता क्यांलू महाराज जी का एक स्थाई मंदिर पुजारली में है।
शराचली और जुब्बल तहसील के कई गांवों के लाखों लोगों की देवता बनाड और देवता देशमौली के लिए अटूट आस्था है। एसडीएम के पास शिकायत कर्ताओं के अनुसार देवता बनाड़ और देवता देशमौली क्षेत्र के सभी गावों में रोटेशन आधार पर हर एक गांव में एक एक वर्ष के लिए जाते रहे हैं। इस परंपरा को ब्रांशि कहा जाता है। जब भी ये देवता प्रत्येक गांव में बने अपने मंदिर में आते हैं तो एक उत्सव का माहौल बनता है और सभी लोग देवता के आगमन को उनका आशीर्वाद समझते हैं।
माना जाता है कि इन देवताओं के आने से संबंधित गावों में सुख व समृद्धि आती है। तीनों देवताओं को बलि नहीं चढ़ाई जाती है। पूरे क्षेत्र में अनुष्ठान के दौरान सादा भोजन पकता है। शिकायतकर्ता हरीमन रावत, संजीव दुलटा और देवी राम भागटा द्वारा वर्ष 2020 में एसडीएम को दी शिकायत के अनुसार देवता बनाड़ और देवता देशमौली का झखोर पुजारली में एक वर्ष तक रुकने की अवधि पूरी होने वाली थी और इन देवताओं ने 25 अगस्त 2020 को थाना गांव के मंदिर में एक वर्ष के लिए जाना था।
परंतु प्रतिवादी शमशेर कालटा और अन्य लोग ब्रांशि परंपरा के खिलाफ दोनों देवताओं को केवल पुजारली गांव के मंदिर में ही स्थाई रूप से रखने पर अड़े हुए हैं। उनका आरोप था कि प्रतिवादी कारदार कमेटी को नकली खेल के माध्यम से भंग करने की साजिश रच रहे हैं जिससे क्षेत्र में अशांति फैल सकती है। एसडीएम रोहडू ने शिकायतकर्ताओं की शिकायत को सही पाते हुए शमशेर कालटा व अन्य प्रतिवादियों को ब्रांशि परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश जारी किए थे। इन आदेशों को प्रतिवादियोंं ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू जिला शिमला के समक्ष भी चुनौती दी गई थी जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट में भी कथित तौर पर पुरानी परंपरा के खिलाफ जाने वाले प्रतिवादियोंं ने याचिका दायर की है।