हिमाचल दस्तक
हीरानगर, शिमला में ज्योतिष और कर्मकांड विशेषज्ञों की विशेष बैठक, देशराजीय पञ्चाङ्ग कर्ता डॉ० देशराज शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के लगभग 24 सदस्यों ने भाग लिया।इस बैठक का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति को उन्नयन व ज्योतिष और कर्मकांड की वैज्ञानिक पक्ष सिद्ध स्पष्ट करना था।
गोष्ठी का प्रारंभ जलपूर्ण कलश स्थापन , दीप प्रज्वलित कर वैदिक मंत्रोच्चार से हुआ।इस सभा में ज्योतिष और कर्मकांड के वैज्ञानिक पक्ष पर विस्तृत चर्चा परिचर्चा की गई। सभा में डॉ० देशराज ने कहा कि वह प्रति वर्ष नूतन शैली के कैलेंडर रूपीय, पञ्चाङ्ग पर विशेष रूप से कार्य करते रहे हैं, इस वर्ष देशराजीय कैलेण्डर/ पञ्चाङ्ग को एक नया रूप देकर जनता को समर्पित करना है।
जिससे पञ्चाङ्ग को देखने में सभी को सरलता बने, इसलिए भारतीय सनातन संस्कृति का परिचायक “देशराजीय – पञ्चाङ्ग” (कैलेंडर)आगामी वर्ष विक्रम संवत् 2080, सन् 2023 – 2024 ई. का प्रकाशन इस वर्ष विभिन्न नए स्वरूपों के साथ तैयार कर दिया है। इस पञ्चाङ्ग का उद्देश्य सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार, संरक्षण एवं संवर्धन करना है।
उन्होंने अपने शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इसमें वर्ष भर के तिथि-त्यौहार, व्रत-पर्व व सरकार द्वारा घोषित अवकाशादि सम्मिलित हैं।इसके अतिरिक्त वर्ष में शुभाशुभ समय गुरु – शुक्रास्त, श्राद्धपक्ष तिथि निर्णय , सूर्य- चन्द्र ग्रहण ज्ञान, होलाष्टक, पञ्चक, नवरात्र , एकादशी, अमावस,पूर्णिमा आदि व्रत-पर्वों का विशेष ज्ञान भी इस पञ्चाङ्ग (कैलेण्डर) में सुव्यवस्थित रहेगा ।
सनानत गौरवशाली, वैदिक वैज्ञानिक परम्पराओं का पालन करने वाले विशेष व सामान्य जन को अपने घरों, कार्यालय, कार्य स्थलों व्यवसायिक प्रतिष्ठान, मन्दिर न्यास या संस्थान, शैक्षणिक संस्थान के नाम से व्यवहारोपयोगी उक्त पञ्चाङ्ग” (कैलेंडर) को प्रकाशित करवाकर, सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के पुण्यभागी होने के साथ – साथ अपने कारोबार में उन्नति तथा विद्यादान के भागीदार भी बनना चाहिए।
सभी शैक्षणिक संस्थानों में इस पञ्चाङ्ग (कैलेंडर)को पहुंचाकर विद्यार्थियों को वैज्ञानिक पद्धति से सम्बंधित खगोलीय गणितीय गणना के यथार्थ बोध के साथ ही वे अपनी संस्कृति के संवर्धक भी निश्चित बनेंगे। सभी सनातनी धर्मावलंबियों, शिक्षकों, कुलपुरोहित (आचार्यों) से इस पञ्चाङ्ग (कैलेंडर)को अपने यजमानों को तथा हर घर, हर पाठशाला तक पहुंचाने का आह्वान भी किया।
पञ्चाङ्ग कर्त्ता डाॅ० शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने वर्षों के ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड विषयक ज्ञान व अनुभव से और अन्य कई विद्वानों से विचार विमर्श पूर्वक व्रत – पर्वों को पूर्णतः ज्योतिष शास्त्रीय सूक्ष्म कालगणनानुसार निर्णायक रीति से इसमें अंकित किया गया है। सदस्यों को यह भी बताया कि नूतन शैली के इस पञ्चाङ्ग (कैलेण्डर) के प्रचार में सहयोग द्वारा हम सभी आर्ष संस्कृति के प्रचार-प्रसार के भी भागीदार, संरक्षक और संवर्धक अवश्य बनेंगे।