शकील कुरैशी। शिमला
कांगड़ा टी को प्रचारित कर इसकी बिक्री को बढ़ाने के लिए सरकार बड़ा प्रयास करने जा रही है। हिमाचल प्रदेश का पहला टी फेयर पालमपुर में करने की तैयारी है जिसके बाद टी फेस्टीवल का आयोजन भी यहां पर किया जाएगा। विधानसभा सत्र के बीच में 14 दिसंबर को पालमपुर में जो आयोजन किया जा रहा है उसमें टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ विशेष रूप से बुलाए गए हैं जो कांगड़ा चाय को लेकर अपनी राय भी यहां देंगे। यहां पर उत्पादकों को बुलाया जा रहा है जो सरकार के सामने अपनी समस्याओं को रखेंगे और बताएंगे कि चाय के उत्पादन को बढ़ाने और इसकी बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार किस तरह से मदद कर सकती है।
इस फेयर में कांगड़ा चाय की अलग-अलग वैरायटी को प्रदर्शित किया जाएगा वहीं बेहतरीन चाय को पुरस्कृत भी किया जाएगा। उत्पादकों को चाय की नए किस्म के बारे में भी विशेषज्ञ बताएंगे और कैसे उसका उत्पादन यहां पर हो जिससे उत्पादकों को ज्यादा लाभ मिल इसपर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बताया जाता है कि हिमाचल में कांगड़ा चाय का उत्पादन बेशक बढ़ा है परंतु लोगों का रुझान इस क्षेत्र में कम होता दिख रहा है। अब लोग चाय का उत्पादन करने में हाथ पीछे खींचने लगे हैं। इससे पहले कई लोग अपने बागीचों को बेचने तक के लिए प्रयास कर चुके हैं मगर इस पर लगी लैंड सीलिंग के नियमों की पाबंदी की वजह से लोग आगे नहीं बढ़ पाए। अब न चाहते हुए भी कुछ लोगों को चाय का उत्पादन करना पड़ रहा है।
प्रदेश में 2311 हेक्टेयर पर होता है चाय का उत्पादन
हिमाचल प्रदेश में 2311 हेक्टेयर जमीन पर चाय का उत्पादन किया जाता है। इससे जुड़े 5900 लोग हैं जो यहां पर चाय का उत्पादन कर रहे हैं। 39 इकाइयां चाय के निर्माण से जुड़ी हैं जिसमें 4 इकाइयां सहकारी क्षेत्र में हैं तो 35 इकाइयां निजी क्षेत्र में काम कर रही हैं। चाय का उत्पादन कांगड़ा जिला के अलग-अलग क्षेत्रों में होता है तो वहीं मंडी के सीमाई क्षेत्र जो कांगड़ा से जुड़े हैं वहां पर किया जाता है।
2020-21 में हुआ 11 लाख 45 हजार 770 किलोग्राम चाय का उत्पादन
चाय के उत्पादन की बात करें तो 1097 हेक्टेयर इस समय वैल मैंटेंड एरिया है। वर्ष 2020-21 में 11 लाख 45 हजार 770 किलोग्राम चाय का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में किया गया जबकि वर्ष 2019-20 में 10 लाख 2 हजार 243 किलोग्राम चाय का उत्पादन किया गया। इस साल इससे ज्यादा उत्पादन होने कीसंभावना जताई जा रही है।
सरकार चाहती है कि यहां पर उत्पादन बढ़े और कांगड़ा चाय की अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान कायम रहे। इसलिए पहले पालमपुर में फेयर का आयोजन किया जा रहा है जिसके बाद फेस्टिवल आयोजित होगा।
– डॉ.अजय शर्मा सचिव कृषि