शिमला :
राज्य विधानसभा के विधायक अब चुनाव क्षेत्रों में अपना एक दफ्तर चाहते हैं। पिछले मानसून सत्र से पहले विधानसभा से जो मांग पत्र राज्य सरकार को मिला था, उसमें यात्रा भत्ते को ढाई से चार लाख करने के अलावा आफिस की मांग भी थी, लेकिन तब ये मांग पूरी नहीं हो पाई थी।
इसलिए अब 25 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में ये हसरत पूरी की जा रही है। लेकिन इस मसले पर सामान्य प्रशासन विभाग और लॉ विभाग दोनों दुविधा में हैं। दुविधा आफिस देने में नहीं है, बल्कि आफिस देने के बाद विधायकों से आफिस भत्ता वापस लेने की है। ये जनरल प्रिंसिपल है कि यदि आफिस मिलेगा तो भत्ता नहीं मिलेगा। ये भत्ता हर विधायक को हर महीने 30 हजार रुपये मिलता है और इसे वापस देने को अभी तक कोई तैयार नहीं है। दरअसल आजकल मुख्यमंत्री के बजट भाषण पर विभागीय चर्चाएं चल रही हैं। इसमें एक चर्चा ये भी है कि संभव है कि सीएम ही विधायकों को तहसील या ब्लॉक स्तर पर सरकारी दफ्तर देने का एलान कर दें। लेकिन इस एलान के साथ जुड़ा है 30 हजार रुपये का भत्ता।
इसलिए अब इस मसले पर मुख्यमंत्री को ही फैसला लेना है। एक बात ये भी है कि यदि आफिस देना हो तो इसके लिए सदन में विधेयक लाने की जरूरत नहीं है। सरकार एक आदेश के जरिये ये कर सकती है। लेकिन यदि आफिस के साथ जुड़े भत्ते को वापस लेना हो या कम करना हो तो विधेयक लाना जरूरी हो जाएगा। पिछले मानसून सत्र में भी विधेयक के जरिए ही विधायकों के यात्रा भत्ते को बढ़ाया गया था, जिस पर सरकार को चौतरफा निंदा झेलनी पड़ी थी।
अभी ये है एक विधायक का वेतन
बेसिक सैलरी 55000 रुपये
कंप्यूटर एलाउंस 05000 रुपये
चुनाव क्षेत्र भत्ता 90000 रुपये
टेलीफोन भत्ता 15000 रुपये
ऑफिस भत्ता 30000 रुपये
डाटा एंट्री आपरेटर 15000 रुपये
कुल वेतन 2,10,000 रुपये
नोट-ये वेतन फस्र्ट टाइमर विधायकों का है। पुराने विधायकों का इससे ज्यादा होगा।