हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय : स्नेक बाइट से होने वाली मौतों की रोकथाम और इसके सस्ते इलाज के लिए शोध को मंजूरी मिलने से संर्पदंश से होने वाली मौतें कम होने की उम्मीद जगी है। इस शोध से उम्मीदों का आधार ज्यादा मजबूत इसलिए है, क्योंकि एंटी रेबीज वैक्सीन पर काम कर सस्ता इलाज दे चुके पदमश्री विजेता डॉ. उमेश भारती के नेतृत्व में यह काम होगा।
इस शोध को आईसीएमआर (इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) से मंजूरी मिल गई है। स्नेक बाइट इस समय देश के सामने बड़ी समस्या बन चुका है। इससे देश में हर साल लगभग 50 हजार लोगों की मौत होती है। हिमाचल भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी बड़ी संख्या में लोगों की मौत स्नेक बाइट से होती है। हिमाचल के लिए गर्व की बात यह है कि इस शोध का नेतृत्व प्रदेशवासी करेगा। इस शोध में देश के 9 राज्यों के 30 सहायक शोधकर्ता भी शामिल होंगे। यानी इसका स्वरूप व्यापक होगा। इसके साथ ही ज्यादा जनसंख्या को इसमें कवर किया जाएगा, ताकि बेहतर परिणाम सामने आएं। करीब 7 करोड़ की जनसंख्या को शोध में कवर किया जाएगा और सांप के काटने से होने वाली करीब 5 हजार मौतों का अध्ययन किया जाएगा।
इससे और लाभ भी होंगे। पहली बार देश में सांप के काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा सामने आएगा। इसके अलावा सर्पदंश का शिकार होने के बाद लोगों पर पडऩे वाले आर्थिक बोझ का भी पता चलेगा। यह शोध केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और मिजोरम में किया जाएगा। यह शोध इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अस्पतालों में आ रहे एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन सौ फीसदी कारगर नहीं हैं। ये जहर के असर को पूरी तरह न्यूट्रीलाइज नहीं कर पाते हैं। यदि यह शोध सफल रहा तो कई लोगों के प्राण बचाए जा सकेंगे।