मुख्यमंत्री जयराम बोले, अहम प्रश्न और प्रस्ताव आए, अच्छी चर्चा हुई, कहा, जनमंच को देश में किया जा रहा पसंद, वीरेंद्र बोले, 2.72 करोड़ हुए 18 जनमंच पर खर्च
राजेश कुमार। तपोवन : शीत सत्र के समापन पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन लोकतंत्र का मंदिर है और जनता की सेवा का रास्ता यहीं से निकलता है। सदन का अहम योगदान मुद्दों को हल करने में रहता है। नियम को रद करना अच्छा रिवाज नहीं है।
ऐसे में सदन की 35 सिटिंग तो हों ही, लेकिन अगर सब सहमत हों, तो हमें सदन की सिटिंग बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन में अहम प्रश्न व प्रस्ताव आए हैं। अच्छी चर्चा हुई है। लोकतंत्र में हर कोई किसी पक्ष से सहमत नहीं हो सकता, इसलिए विपक्ष का आवाज उठाना भी स्वभाविक है, इसे हम मानकर ही चलते हैं। दो दिन व्यवधान रहा, उसके बाद प्रयास हुआ और कार्यवाही ठीक चली है। सीएम ने विधानसभा अध्यक्ष, सदन के सदस्यों, कर्मचारियों व मीडिया सहित सभी का आभार जताते हुए कहा कि बजट सत्र में प्रमुख चर्चाओं पर फिर जल्द मिलेंगे।
जिस बात की विपक्ष को हो तकलीफ, समझो काम ठीक है
तपोवन। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष जिस बात पर ज्यादा हल्ला मचाए समझो वह काम बिल्कुल ठीक हो रहा है और जनता के हित में हो रहा है। बीमारी का इलाज ठीक चल रहा है। विधानसभा सत्र में विधायक सुखराम चौधरी द्वारा लाए गए जनमंच के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनमंच प्रदेश का एक लोकप्रिय कार्यक्रम है। इससे जनता को लाभ मिल रहा है। जनता की समस्याएं घरद्वार पर हल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जनमंच को देशभर में पसंद किया जा रहा है।
कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मेरे साथ इस बारे में बात की है। पीएम मोदी ने भी इस कार्यक्रम को मजबूती से आगे बढ़ाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाइन सेवा संकल्प के नाम से शुरू की गई। इस प्रस्ताव पर ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि विपक्ष गलत प्रचार कर रहा है कि इस पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ 2.72 करोड़ 18 जनमंच पर खर्च हुए हैं, जिनमें हजारों समस्याएं हल की गई हैं। चर्चा में लखविंद्र राणा, राकेश पठानिया, इंद्र दत्त लखनपाल, जीतराम कटवाल, जगत सिंह नेगी, राजेश ठाकुर, राकेश सिंघा, परमजीत पम्मी व आशीष बुटेल ने भाग लिया।
अधिकारियों को महंगी गाडिय़ां देना बंद करे सरकार: मुकेश
तपोवन। नेता प्रतिपक्ष ने समापन के दौरान सीएम जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि उनके कार्यकाल में विभागीय अधिकारी 35 से 40 लाख रुपये की गाडिय़ों में घूम रहे हैं। इससे प्रदेश का राजस्व खराब हो रहा है। उन्होंने केसीसी बैंक व स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्षों पर निशाना साधा। ये दोनों चेयरमैन महंगी गाडिय़ों में घूम रहे हैं। मंत्रियों के अलावा किसी को फॉच्र्यूनर जैसी गाड़ी न दी जाए। अधिकारियों को 12-15 लाख रुपये की गाड़ी की बात तो समझ में आती है, लेकिन 35 लाख की गाड़ी देना ठीक नहीं है। मुकेश ने कहा कि सत्र में अच्छी चर्चा हुई है और विधानसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को समय भी दिया है। हम इसके लिए आभारी हैं और अब बजट सत्र में मिलेंगे।
2021-22 तक 1,75,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
तपोवन। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों का दोहन सुचारू रूप से करने के लिए अलग-अलग जल ऊर्जा व सौर ऊर्जा नीतियां अधिसूचित की हैं। सत्र के आखिरी दिन नियम-63 के तहत विधायक राकेश जंबाल और सुंदर सिंह ठाकुर के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सौर मिशन के तहत वर्ष 2021-22 तक 1,75,000 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 40,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के माध्यम से प्राप्त किया जाना है। इस मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा मार्च, 2014 में सौर ऊर्जा नीति अधिसूचित की गई थी, उसके बाद जनवरी, 2016 में संशोधन उपरांत इसे पुन: अधिसूचित किया गया। धरातल पर स्थापित की जाने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018 में अधिसूचित योजना के तहत 150 किलोवाट से 500 किलोवॉट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचली उद्यमियों को आवंटित की गई हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 28 मेगावाट क्षमता के लिए इस प्रकार की परियोजनाओं के आवंटन का लक्ष्य है।
इसके लिए प्रस्ताव/आवेदन आमंत्रित करने के बाद इनके आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में अब तक 10600 मेगावाट विद्युत क्षमता का दोहन किया जा चुका है। ऊर्जा नीति का सरलीकरण मई, 2018 में किया गया है और विभिन्न रियायतों के फलस्वरूप 240 मेगावाट क्षमता की कुठेड परियोजना का शिलान्यास हो चुका है और आने वाले छह माह में छह परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 263.14 मेगावाट है उसके पूर्ण होने की संभावना है।