- विपक्ष से बोले, शर्म करिए और हिमाचल को पंजाब मत बनाइए
- इन्वेस्टर मीट को घोटाला कहने पर सदन में आक्रामक हुए सीएम
राजेश मंढोत्रा। धर्मशाला : मुख्यमंत्री बनने के बाद के दो साल की अवधि में विधानसभा सदन ने मंगलवार को पहली बार जयराम ठाकुर को गुस्से में देखा। गुस्से की वजह थी धर्मशाला में हुई इन्वेस्टर मीट को विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा घोटाला कहना। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन प्रश्रकाल से पहले जैसे ही कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने अपने काम रोको प्रस्ताव को उठाना चाहा तो भाजपा की ओर से राकेश पठानिया ने उनको काउंटर कर दिया।
इसी बहसबाजी में विपक्ष ने जहां एक ओर नियम 67 के विषय को 130 की चर्चा में बदलने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. बिंदल को निशाने पर लिया, वहीं फिर से इन्वेस्टर मीट को घोटाले की संज्ञा दे दी। इससे गुस्साए सीएम जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री को खड़े होकर कहा, हिमाचल को हिमाचल ही रहने दीजिए, इसे पंजाब मत बनाइए। हर चुनाव में हमसे हारे। लोकसभा चुनाव में हर चुनाव क्षेत्र और अपने बूथ पर हारे। अब तो शर्म करिए। थोड़ी भी शर्म होती तो अकल की बात करते। देवभूमि हिमाचल को सम्मान के साथ जीने दीजिए। इस तरह का तल्ख लहजा जयराम ठाकुर से अब तक किसी ने सुना नहीं था।
हालांकि इसके बाद शोर शराबा बंद नहीं हुआ और इसी शोर के बीच प्रश्रकाल चला। बाद में विपक्ष के वाकआउट के बाद मुख्यमंत्री ने विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस सदन की स्थापित परंपराओं को विपक्ष ठेस पहुंचा रहा है। पता नहीं इनको किस बात की जल्दबाजी है। कांग्रेस में अनुभवी लीडरशिप की कमी खल रही है। कांग्रेस विधायक दल की हालत ये है कि नियम 67 के तहत हर्षवर्धन चौहान ने महंगाई का नोटिस दिया और सदन के भीतर इन्वेस्टर मीट का मसला उठाया।
इसके तय ही नहीं हो रहा है कि किस विषय पर बोलना है। और तो और विधानसभा अध्यक्ष का भी अपमान किया गया। ये व्यवहार घोर निंदा वाला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोकसभा चुनाव में हारे। सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में हारे। जो बड़े नेता बनते हैं, वे अपने बूथ पर हारे। फिर उपचुनाव में हारे। धर्मशाला में जमानत जब्त करवाई, फिर भी सुध नहीं आ रही। उन्होंने चुनौती दी कि अभी चुनाव करवा लो, फिर पटखनी देंगे। हम सदन के भीतर हर चर्चा को तैयार हैं और सदन के बाहर हर लड़ाई को।
कांग्रेस ने सदन में लहराए पोस्टर उछालीं प्याज की मालाएं
शीत सत्र के दूसरे दिन विपक्षी दल कांगे्रस ने सदन में हंगामा किया। सबसे पहले हर्षवर्धन चौहान ने अपने नियम 67 का मसला उठाया, लेकिन पहले दिन की रणनीति को समझते हुए भाजपा के राकेश पठानिया भी बोलने के लिए खड़े हो गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएम के कहने पर विस अध्यक्ष ने नियम 67 के नोटिस को 130 की चर्चा में अपने स्तर पर ही बदल दिया। टकराव बढऩे के बाद कांग्रेस विधायकों ने पहले नारेबाजी शुरू की और फिर नारे लगाते हुए वेल में आ गए। फिर पोस्टरों का बंडल आया और सभी विधायकों ने इन्हें सदन के वेल में लहराया। ये इन्वेस्टर मीट और महंगाई को लेकर थे। साथ ही प्याज की मालाएं पहले गले में पहनीं और फिर इन्हें सदन में ही उछालना शुरू कर दिया। बाद में पूरा विपक्ष वाकआउट कर गया।
स्पीकर की मदद से राज चलाने की कोशिश:मुकेश अग्निहोत्री
सदन में जारी बहस के बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने आरोप लगाया कि सरकार स्पीकर की मदद से राज चलाने की कोशिश कर रही है। ऐसा नहीं चलने देंगे। विपक्ष के अधिकार को दबाया जा रहा है। ये भेदभाव है। मुकेश अपनी जिद पर अड़े रहे कि सरकार इन्वेस्टर मीट पर श्वेत पत्र जारी करे और जिनके साथ एमओयू किये, उनकी पूरी जानकारी रखे।
बिंदल भी हुए गुस्सा, बोले पोस्टर लहराने पर कार्रवाई होगी
कांग्रेस के आरोपों पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. बिंदल भी गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा कि विस का इससे पहले का सारा रिकार्ड चेक किया जाए। मैं चुनौती देता हूं कि मुझसे ज्यादा अपनी बात रखने का अवसर किसी ने नहीं दिया। उन्होंने व्यवस्था दी कि नियम 67 का नोटिस पिछले कल ही खत्म हो गया था। चूंकि दोनों ओर से मसला इन्वेस्टर मीट का ही था, इसलिए विस ने ही इसे मर्ज किया है। चेयर के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को रिकार्ड पर नहीं आने दिया। साथ ही कहा कि सदन में पोस्टर, बैनर आदि लहराना प्रतिबंधित है, इसलिए इस पर कर्रवाई होगी।