हिमाचल दस्तक। ऊना: जो भागवत कथा का श्रवण करता है, वह काल च्रक से मुक्ति पा लेता है। भागवत कथा व सत्संग का फल यही है कि कथा सुनने की प्यास ओर बढ़ जाती है। इसके अलावा जो मिल जाए, वो अपनी किस्मत है। यह प्रवचन कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहे।
श्री राधा कृष्ण मंदिर में चल रहे वार्षिक महासम्मलेन के सातवें दिन जहां भक्तों ने एक ओर जहां राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज लिया, वहीं कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री के प्रवचन सुने। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने भक्तों को प्रवचनों से निहाल किया। इससे पहले वेद प्रकाश एंड पार्टी ने रासलीला की, जिसमें श्री कष्ण की विभिन्न झांकिया पेश की गई।
आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने मात्र से व्यक्ति की भगवान में तन्मयता हो जाती है। संसार के प्रत्येक कण में हमें मात्र प्रभु के दर्शन हो। श्रीमद् भागवत के प्रारंभ में सत्य की वंदना की गई है, क्योंकि सत्य व्यापक होता है, सत्य सर्वत्र होता है और सत्य की चाह सबको होती है। उन्होंने कहा कि भगवान को न तो बातों से पाया जा सकता है और न ही बुद्वि से। भगवान को पाने के लिए उनकी लीलाओं का समझाना होगा। लीलाएं तभी समझ में आएंगी, यदि हम भागवत कथा का श्रवण करें। उन्होंने कहा कि आज के समय में बुद्धिमान लोग अपने को ही लूटन में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सत्संग का आनंद सबको नहीं मिलता और न ही ईश्वर प्रेम सबको मिलता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर को पाने के लिए साधना जरूरी है। उन्होंने कहा कि साधना का फल सिद्धि ही है। कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहा कि संत वो ही जिसकी साधना पूर्ण हो। उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ है प्रेम, लेकिन भक्ति और प्रेम में थोड़ा सा अंतर है। जो भक्त भगवान की अराधना करता है उसे हम भक्ति कहते हैं, क्योंकि उस उस समय भक्त भगवान के अधीन होता है।
भगवान की मूर्ति की पूजा करने को अरचनम भक्ति कहते हैं। हमारे सनातम धर्म में मूर्ति का एक वशिष्ट स्थान है। जब तक मूर्ति दुकान पर होती है तब तक वह पत्थर हो सकता है, लेकिन जब वह मूर्ति हमारी पूजा में प्रतिष्ठित हो जाती है तो उसमें हमारे बांके बिहारी विद्यमान हो जाते हैं, इसलिए भगवान की मृर्ति में पत्थर भक्ति नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का अर्थ है अपनी और खींचने वाला, जो कृष्ण का नाम लेता उसका पाप दूर हो जाते हैं। इस दौरान उन्होंने कृष्णा भजो रे, मैं तो आई वृंदावन धाम किशोरी तेरी चरणों में भजन गाकर भक्तों को निहाल किया।
बांके बिहारी का स्थान है बाबा बाल आश्रम
कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहा कि बाबा बाल आश्रम बांके बिहारी का स्थान है। बांके बिहारी इस स्थान से कहां जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आश्रम में हजारों की भीड़ है, ये तो प्रभु का स्थान है। उन्होंने कहा कि जहां भक्त है, वहीं प्रभु है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के प्रति ऊना की प्यास कम नहीं है। हमेशा बढ़ती ही जा रही है।
प्रेमभाव से जाएं गुरु के दरबार: बाबा बाल
बाबा बाल जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि सतगुरु के दरबार में प्रेमभाव से जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का श्रवण भाग्य वालों को ही मिलता है। उन्होंने कहा कि इंसान को शराब, सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए इससे अच्छा इंसान अपना समय भगवान के चरणों में बिताए। बाल बाबा जी ने कहा कि हमें अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों पर अम्ल करना चाहिए।