काठमांडू (भाषा)। नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद सुलझा सकता है तो उनके देश के साथ क्यों नहीं। उन्होंने यह टिप्पणी दोनों पड़ोसियों के बीच सीमा को लेकर उभरे मतभेद के संदर्भ में कही। उल्लेखनीय है कि भारत ने नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के गठन के बाद नवंबर में नया मानचित्र जारी किया।
इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को जम्मू-कश्मीर का हिस्सा और गिलगित बाल्तिस्तान को लद्दाख का हिस्सा दिखाया गया। इस मानचित्र के सामने आने बाद नेपाल ने दावा किया कि लिम्पियाधुरा, लुपुलेक और कालापानी इलाके को भारत में दिखाया गया है जबकि वह नेपाल का हिस्सा है।
वहीं भारत ने कहा कि नया मानचित्र बिल्कुल सही है और उसमें देश के संप्रभु क्षेत्र को दिखाया गया है एवं नेपाल के साथ सीमा की समीक्षा का सवाल ही नहीं है। यहां विदेश मंत्रालय में सागरमाथा संवाद के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाए गए पत्रकार सम्मेलन में भारतीय पत्रकारों के समूह से बातचीत में नेपाल के विदेशमंत्री ने कहा, अगर भारत बांग्लादेश के साथ जमीनी सीमा के विवाद को सुलझा सकता है तो नेपाल के साथ क्यों नहीं?
उन्होंने कहा, अनसुलझे मुद्दे का बोझ लेकर आगे नहीं बढ़ना चाहिए क्योंकि दोनों देशों और उनके नेताओं के बीच समझ का स्तर सबसे ऊपर है। ग्यावली की टिप्पणी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि समय आ गया है कि दोनों देशों के दीर्घकालिक हित के लिए सभी लंबित मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान किया जाए।
ओली ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के इरादे से 140 करोड़ रुपए की लागत से तैयार जोगबनी-विराटनगर एकीकृत जांच चौकी का वीडियो लिंक के जरिए उद्घाटन करने के मौके पर कहा था, समय आ गया है कि दोनों देशों के दीर्घकालिक हित के लिए सभी लंबित मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान किया जाए।
दोनों देशों में स्थिर और बहुमत की सरकार एक मौका है और मेरी सरकार इस मामले में भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। गौरतलब है कि भारत और बांग्लादेश ने 2015 में एंक्लेव (वह क्षेत्र जिसके चारों ओर दूसरे देश की सीमा होती है।) की अदला-बदली कर 70 साल पुराने सीमा विवाद का सर्वसम्मति से समाधान किया था।