नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के आपात स्तर के करीब पहुंचने के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि आवश्यता पडऩे पर सम-विषम योजना 15 नवंबर से आगे बढ़ाई जा सकती है।
उन्होंने योजना को चुनावी हथकंडा बताने वाले विपक्षी दलों से कार्यक्रम का विरोध नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा, प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। सारी दिल्ली सम-विषम योजना की मांग कर रही है और ऐसे समय में विपक्ष को लोगों की इच्छा का समर्थन करना चाहिए। सम-विषम योजना चार नवंबर को शुरू हुई थी और 15 नवंबर को इसके समाह्रत होने का कार्यक्रम है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या इस योजना को आगे विस्तारित किया जाएगा, यह पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा, जरूरत हुई तो हम इसे (सम-विषम योजना) आगे बढ़ाएंगे।
खेतों में पराली जलाए जाने और विपरीत मौसमी परिस्थितियों के कारण पिछले 15 दिनों में प्रदूषण स्तर के तीसरी बार आपात ङ्घोणी में पहुंचने की आशंका है। प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो चुकी है। केजरीवाल ने दिल्ली के लगातार धुंध की चादर में लिपटने के लिए पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने को दोषी ठहराया और कहा कि इससे वैश्विक स्तर पर दिल्ली की छवि प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, मुझे याद है कि कुछ दिन पहले जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल दिल्ली में थीं…उस समय जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित हुआ था।
वह दिल्ली की कैसी छवि लेकर अपने देश गई होंगी ? मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के कड़े निर्देश की अवहेलना करते हुए दिल्ली के पड़ोसी राज्यों, खासकर हरियाणा और पंजाब में पराली जलाई जा रही है। उन्होंने कहा, प्रदूषण रोकने के लिए लगातार हमारे प्रयासों के कारण इस मौसम की शुरूआत में वायु गुणवत्ता अच्छी और मध्यम ङ्घोणी के बीच थी। लेकिन पंजाब और हरियाणा में पराली के धुएं से गुणवत्ता खराब होती गई। उन्होंने कहा, बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई। इससे दिल्ली का प्रदूषण गिरा। लेकिन फिर से पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं।
ये राज्य उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को भी नहीं मान रहे। दिल्ली के लोगों को इससे बहुत नुकसान हो रहा है। केजरीवाल ने फिर दोहराया कि कृषि अवशेषों का इस्तेमाल दबावीकृत प्राकृतिक गैस और कोयला के उत्पादन में हो सकता है और इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा, मैं कई विशेषज्ञों से मिला हूं। मैं खुद इंजीनियर हूं। पराली को सीएनजी में बदला जा सकता है। पराली को सीएनजी में परिवर्तित करने वाले उद्योग की आधारशिला रखी जा सकती है। मैंने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड से बात की है और वे पराली से सीएनजी उत्पादन के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पराली को कोयला में बदलने वाली कई फैक्टरी पंजाब में आ गई हैं। एनटीपीसी लिमिटेड इस प्रक्रिया के जरिए सभी कोयला उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसी पहल से रोजगार का भी सृजन होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।