शिमला:
प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी में जहां हर रोज करीब 4000 मरीज देखे जाते हैं, करीब 450 पद कर्मचारियों के खाली हैं। इनमें सबसे ज्यादा पद स्टाफ नर्स और डॉक्टरों से संबंधित हैं। इन्हें अभी तक भरा नहीं जा सका है।
सरकार सालों से खाली पड़े पदों को भरने की जहमत नहीं उठा रही है। इन पदों में डॉक्टर, नर्सें, क्लेरिकल, पेरामेडिकल, चतुर्थ श्रेणी समेत विभिन्न श्रेणियां आती हैं। अस्पताल में रोजाना करीब 4 हजार से ज्यादा लोग अपना मर्ज लेकर ओपीडी में चेकअप करवाते हैं। साथ ही करीब 1200 के लगभग मरीज अस्पताल में दाखिल रहते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर रखने के लिए मौजूदा समय में तैनात कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ बढ़ जाता है।
अस्पताल के पास सरप्लस स्टाफ नहीं है, तैनात कर्मचारी अतिरिक्त बोझ झेल रहे हैं। कर्मचारी अपने पद के अलावा अन्य और सेवाएं देने के लिए मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि आईजीएमसी में पड़े खाली पदों को भरे, ताकि अस्पताल में मरीज, नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई के साथ मेडिकल कॉलेज का काम प्रभावित न हो। एमएस डॉक्टर जनकराज का कहना है कि कई बार राज्य सरकार के समक्ष यह मामला उठाया है। कुछ समय पहले नर्सों और लैब असिस्टेंटों के पद भरे गए थे। कुछ और रिक्तियों को भरने का मामला विचाराधीन है। अस्पताल पूरी कोशिश करता है कि इससे मरीजों को कोई दिक्कत न हो।
कौन-कौन से पद हैं खाली?
आईजीएमसी में वरिष्ठ सहायकों के 5, जूनियर असिस्टेंट के 15, जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी के 20, फ ार्मासिस्ट के 8, लैब असिस्टेंट के 19, मेडिकल लैब टेक्निशियन के 5, स्टाफ नर्स के 200, वार्ड सिस्टर के 16, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 49 पद और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के करीब 35 पद खाली पड़े हैं।