शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश के संसाधनों का इस्तेमाल करके सीमेंट का उत्पादन करने वाले कंपनियों ने प्रदेश में ही सीमेंट महंगा दिया है। महंगे सीमेंट को लेकर सरकारों पर लगातार आरोप लगते रहे हैं बावजूद इसके सरकार इन कंपनियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। इनकी जब मर्जी आती है ये सीमेंट के दाम बढ़ा देते हैं, जिसकी सरकार को भी कोई जानकारी नहीं होती। सूत्रों के अनुसार उच्च स्तरीय अधिकारियों की जो कमेटी बनाई गई है, उसने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सरकार इनपर कैसे नियंत्रण कर सकती है। आंकड़ों से खुलासा होता है कि हिमाचल में बनने वाला सीमेंट यहां पर कितना महंगा हुआ है। पिछले पांच साल की बात करें तो सीमेंट कंपनियों ने यहां पर 57 से लेकर 65 रुपये तक प्रति बैग सीमेंट का दाम बढ़ाया है और वह भी तब जबकि समय-समय पर सरकार इनको रेट न बढ़ाने के लिए कहती है। कोविडकाल में हिमाचल में सीमेंट महंगा हुआ।
उस दौरान सरकारी वनिजी अदारा बंद पड़ा था और निर्माण कार्यों ने जोर पकड़ रखा था। कर्मचारियों ने भी और कुछ नहीं तो अपने मकान बनाने पर जोर दिया और ऐसे में सीमेंट कंपनियों ने भी जमकर दाम बढ़ाए और खूब पैसा कमाया। अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के पीछे मकसद यही है कि किसी दूसरी तरह से इन कंपनियों पर नकेल कसी जाए जिसमें पर्यावरणीय मामलों या अन्य मसलों को लेकर इनपर दवाब डाला जाए। मगर अब सरकार ने ठान ली है कि कंपनियां मनमर्जी नहीं करेंगी, जिनपर नियंत्रण के लिए कोई न कोई कदम उठाए जाएंगे। देखना यह है कि कब तक इन पर सरकार दवाब बना सकेगी।
तीन कंपनियां कर रहीं उत्पादन
राज्य में तीन सीमेंट कंपनियां इस समय उत्पादन कर रही हैं, जिसमें अंबूजा, एसीसी व अल्ट्राटैक हैं। मौजूदा समय की बात करें इस समय खुले बाजार में एसीसी सीमेंट 435 रुपये, अल्ट्राटैक सीमेंट 430 रुपये तक और अंबूजा सीमेंट 440 रुपये प्रति बैग तक मिल रहा है। बता दें कि हिमाचल की अपेक्षा पड़ोसी राज्य पंजाब में सीमेंट सस्ता है। यहां पर भौगोलिक परिस्थितियों की दुहाई दी जाती है और कंपनियों को किराया भी ज्यादा पड़ता है।
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