फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ
नई दिल्ली (भाषा)। केंद्र सरकार ने वीरवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने से जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल किया जा सका है और इस फैसले को वापस लेना संभव नहीं है। केंद्र ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता अस्थायी थी। पांच जजों की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को 370 निष्प्रभावी कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था। अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अदालत में नए केंद्र शासित प्रदेश को भारतीय संघ में शामिल करने की प्रक्रिया समझाई और कहा कि इस फैसले को वापस लेना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि भारत राज्यों का संघ है और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता अस्थाई थी।
जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय राज्यों के एकीकरण का मकसद देश की अखंडता बनाए रखना है। केंद्र सरकार ने कहा कि सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एजी ने अपनी दलीलों के समर्थन में अदालत को पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट सौंपनी चाहीं, लेकिन राजीव धवन ने इसे राजनीतिक दलील कहते हुए इसका विरोध किया। जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के वकील जफर अहमद शाह की अधिकतर दलीलें भी राजनीतिक थीं।
ये जो कुछ भी कह रहे हैं, उसका केस से कोई संबंध नहीं है। अदालत में जम्मू-कश्मीर के अलगाव का समर्थन करने वाली किसी दलील की इजाजत नहीं दी जा सकती। हम गलत को सही करने की कोशिश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता वकील राजीव धवन ने कहा कि पहली बार संविधान के अनुच्छेद 3 का इस्तेमाल करते हुए एक राज्य का दर्जा घटाकर उसे केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बना दिया गया।
शीर्ष अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित
उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के सरकार के फैसले के खिलाफ वीरवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 मामले को बड़ी बेंच को सौंपने को चुनौती दी जाए या नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
कश्मीर पर तीसरा पक्ष मंजूर नहीं: विदेश मंत्रालय
भारत ने फिर साफ किया अपना स्पष्ट और स्थिर रुख
कहा-बातचीत का माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाक की
नई दिल्ली। भारत ने वीरवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि कश्मीर मामले पर किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है और बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि कश्मीर मामले पर हमारा रुख स्पष्ट और स्थिर है। कश्मीर मामले पर किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से भारत एवं पाक के बीच विवाद सुलझाने में मदद को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बारे में सवाल पूछा गया था।
उन्होंने कहा कि कश्मीर पर हमारा रुख स्पष्ट और स्थिर है, इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। और अगर कोई द्विपक्षीय मामला आता है तब दोनों देशों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाया जाना चाहिए जो शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र की तहत हो। कुमार ने कहा कि वार्ता के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करना पाकिस्तान का दायित्व है जो आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त हो। उन्होंने कहा कि तभी दोनों देशों के बीच कोई अर्थपूर्ण बातचीत हो सकती है।
ट्रंप ने फिर की थी मसला सुलझाने में मदद की बात
गौरतलब है कि दावोस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वॉशिंगटन कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है। उन्होंने यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात में एक बार फिर दोनों पड़ोसी देशों के बीच विवाद को सुलझाने में मदद की बात कही थी।
पाकिस्तान के दोहरे रवैये को समझ चुकी है दुनिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दावोस में पाकिस्तान के पीएम ने काफी चीजें कहीं हैं। हमने रिपोट्र्स देखी हैं। टिप्पणियों में कोई नई बात नहीं है। काफी महीनों से इसी लहजे में बात कर रहे हैं। ये विरोधाभासी है। तथ्यात्मक गलतियां भी हैं। दर्शाता है कैसे इमरान हताश हो रहे हैं। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि ग्लोबल कम्युनिटी ने उनके डबल स्टैंडर्ड को समझ लिया है।