आनंद भट्टी। दुलैहड़
हिमाचल की सीमा से सटे पंजाब के नंगल स्थित पीएसीएल उद्योग के केमिकल युक्त पानी से पिछले 30 वर्षों से जिला ऊना के गांव सनौली, माजरा, पूना, बीनेवाल और मलूकपुर के लोग परेशान चल रहे हैं। अब इसी उद्योग द्वारा हिमाचल प्रदेश के हरोली उपमंडल के एक गांव में अपनी वेस्ट मैटीरियल का डंप बनाए जाने का मामला भी सामने आ गया है। एक तरफ संघर्षरत लोग लंबे समय से चली आ रही केमिकल युक्त पानी की समस्या से निजात पाने के लिए एनजीटी के द्वार पहुंचे हैं। दूसरी तरफ हरोली क्षेत्र के गांव छेत्रां मे फेंके गए केमिकल वेस्ट को लेकर ग्रामीणों में दहशत है।
इसी मामले की जांच करने के लिए डीसी ऊना राघव शर्मा पर आधारित टीम मंगलवार सुबह छेत्रां मौके पर पहुंची। इस दौरान डीसी ऊना के निर्देशानुसार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा मिट्टी के सैंपल लिए गए व जांच के लिए धर्मशाला भेज दिए गए है। सैंपल की रिपोर्ट एक सप्ताह के बाद आएगी। इस मौके पर एसडीएम हरोली विकास शर्मा, कानूनगो कमल कुमार, कानूनगो वलजीत सिंह, मजारा व मलूकपुर के पंचायत प्रतिनिधि और गांव वासी मौजूद रहे।
मजारा गांव वासी राजेश कुमार का कहना है कि पीएसीएल उद्योग द्वारा केमिकल वेस्ट ट्रकों में भरकर छेत्रां क्षेत्र के निजी भूमि मालिक की जमीन में मिट्टी में मिलाकर दबाया जा रहा है। इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है और पीने योग्य पानी भी खराब हो रहा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा गांव सनोली मजारा में मिट्टी के सैंपल लिए गए थे, जिसमें दूसरे सैंपल मे क्रोमियम मेटल की मात्रा ज्यादा आई थी। इसके बाद इस मामले की शिकायत डीसी उना से की गई थी। वहीं अब हरोली उपमंडल के इस गांव में डंप मिलने के बाद डीसी राघव शर्मा के साथ मौके का मुआयना किया गया है।
क्या कहते है डीसी
उधर, जिलाधीश ऊना राघव शर्मा का कहना है कि उद्योग द्वारा बेकार मेटेरियल का डंप बनाए गए स्थल का निरीक्षण किया गया है। यहां से भी इस वेस्ट मटेरियल के साथ साथ वेस्ट युक्त मिट्टी के सैंपल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को लेने के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। धर्मशाला में इन सैंपलों की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आने पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।