जिला में 80 प्रतिशत लोग बोलते है पंजाबी: भिंडर , कहा, मुख्यमंत्री जयराम से भी आज तक मिला आश्वासन
सुलिंद्र सिंह, संतोषगढ़। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पंजाबी विषय को न पढ़ाने से बहुत से बुद्धिजीवी नाराज चल रहे है। हिमाचल प्रदेश से शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य डा. दलजीत सिंह भिंडर ने जिलों आज भी लोग पंजाबी कल्चर से जुड़े है, लोग पंजाबी बोलते है, पंजाबी गीत सुनते है। ऊना में करीब 80 प्रतिशत लोग अभी भी पंजाबी बोलते है।
हिमाचल प्रदेश के साथ पंजाब राज्य लगता है। हिमाचल प्रदेश के पढ़े लिखे बच्चे जब पंजाब चंडीगढ़, नंगल, होशियारपुर, जलंधर व लुधियाणा जगह जाते है, तो बसों में पंजाबी में लिखा होता है कि यह बस कहां जाएगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश के होनहार पोस्ट ग्रेजुएट बच्चे एक दूसरे से पूछते है कि यह बस कहां जा रही है, इसलिए हिमाचल प्रदेश में पंजाबी की जरूरत है। हिमाचल दस्तक से बात करते हुए हिमाचल प्रदेश में उर्दू व तमिल पढ़ाई जा सकती है, तो पंजाबी क्यों नहीं पढ़ाई जा सकती। जिन स्कूलों में पंजाबी पहले चढ़ाई जाती थी, अब उन स्कूलों में पंजाबी नहीं पढाई जाती।
उन्होंने कहा कि ऊना के सरकारी स्कूलों में पंजाबी शिक्षक न होने के कारण पढ़ाई नहीं हो रही है, ऐसे में सरकार को चाहिए जिला ऊना में पंजाबी शिक्षकों की तैनाती की जाए। उन्होंने बताया कि हमने कुछ समय पहले शिमला में श्री गुरू नानक देव जी का 550 साला जन्म दिवस मनाया गया था, जिसमें हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विषेश रूप से शिरकत की थी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से पंजाबी विषय को लेकर बात की थी, तो मुख्यमंत्री ने हमें आश्वाशन दिया था कि हम जल्द ही हिमाचल प्रदेश में पंजाबी अध्यापक रखेगें। लेकिन अभी तक जिला सहित प्रदेश के काफी स्कूलों में पंजाबी शिक्षक की तैनाती नहीं हो पाई है।
भिंडर ने बताया है कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 8 जिले 1966 तक पंजाब में हुआ करते थे। इन जिलों आज भी लोग पंजाबी कल्चर से जुड़े है लोग पंजाबी बोलते है पंजाबी गीत सुनते है उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी स्कूलों में पंजाबी विषय होना जरूरी है, ताकि बच्चों को पंजाबी शिक्षा का ज्ञान हो सके। उन्हेांने कहा कि सबसे ज्यादा परेशानी उन लड़कियों को आती है, जिसकी शादी पंजाब में होती है। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी पंजाब में पहुंचते ही अनपढ़ के बराबर गिना जाता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि जिला सहित प्रदेश के स्कूलों में पंजाबी शिक्षा दी जाए।
इच्छुक बच्चों के आधार पर निकलती है पोस्टें
जिला ऊना के शिक्षा उपनिदेशक पीसी राणा ने बताया कि पंजाबी रैगुलर विषय नहीं है। इस विषय की पोस्ट निकालने के लिए स्कूलों से रिर्पोट मंगवाई जाती है। स्कूलों मेंं पता किय जाता है कि पंजाबी पढऩे के कितने बच्चें इच्छुक हैं अथवा नहीं। जिस स्कूल में पजाबी पढऩे के इच्छुक बच्चे होते है, उस स्कूल के लिए पंजाबी अध्यापक के बारे में शिक्षा विभाग शिमला को लिखा जाता है।