हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
वर्ष 2019 में राज्य के आयुर्वेद विभाग में जेम पोर्टल से सेटिंग करके हुई खरीद के मामले में टुकड़ों में जांच रिपोर्ट आ रही है। राज्य सरकार ने यह जांच कमिश्नर इंक्वायरी को दी है।आयुक्त विभागीय जांच ने 3 आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मामले में जांच रिपोर्ट विभाग को दे दी है। यह रिपोर्ट आयुर्वेद सचिव को आई है और इस पर संबंधित डॉक्टरों से रिप्लाई फाइल करने को भी कहा गया है। लेकिन इस केस में आरोपी बनाए गए आयुर्वेद विभाग के पूर्व निदेशक के खिलाफ अभी जांच पूरी नहीं हुई है।
इनको लेकर अभी जजमेंट आना है। पूर्व निदेशक अब रिटायर हो गए हैं और इनके सेवानिवृत्ति लाभ रुकने से बचाने के लिए इस केस में आयुक्त विभागीय जांचने डे टू डे हियरिंग भी की है, लेकिन इसके बावजूद अभी इनको लेकर ऑर्डर नहीं आया है। इधर, दूसरी ओर इस केस में सरकारी गवाह के तौर पर सामने आए आयुर्वेद विभाग के डीलिंग असिस्टेंट ने कुछ और दस्तावेज जमा करवाने की अनुमति मांगी है। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि आयुक्त विभागीय जांच कार्यालय की ओर से जांच रिपोर्ट टुकड़ों में क्यों दी जा रही है? अभी हालत यह है कि डीलिंग असिस्टेंट की जांच विभाग कर रहा है। आरोपी बनाए गए खरीद कमेटी के तीन डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट सचिव के पास है और पूर्व निदेशक को लेकर अभी ऑर्डर आया ही नहीं है।
ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि कहीं इस सारे घोटाले को दबाने का काम तो नहीं हो रहा? इसकी वजह इसलिए जायज दिखती है, क्योंकि एक घटना या अपराध में किस्तों में फैसले कैसे आ सकते हैं? गौरतलब है कि आयुर्वेद विभाग में मार्च 2019 में जेम पोर्टल के माध्यम से खरीद की गई। यह खरीद करीब एक करोड़ 60 लाख धनराशि की थी, जिसमें कई तरह के उपकरण खरीदे गए। लेकिन कुछ उपकरण जान बूझकर महंगे दामों पर खरीदे गए और कुछ खरीद खरीद ऑर्डर के अलावा खरीदे गए। मामला सामने आने के बाद आरोप तत्कालीन आयुर्वेद सचिव तक लगे थे, लेकिन सरकार ने पूरी जांच विजिलेंस को देने के बजाय आयुक्त विभागीय जांच को यह जिम्मा सौंपा।
यह पूरी जांच पूर्व आयुक्त विभागीय जांच राजेश शर्मा ने की और उसके बाद उनका तबादला भी हो गया। जिन तीन डॉक्टरों को लेकर आयुक्त विभागीय जांच ने अपना ऑर्डर दे दिया है, उनकी इंक्वायरी निदेशक के बाद शुरू हुई थी, जबकि पूर्व निदेशक को लेकर ऑर्डर कब आएगा, यह किसी को पता नहीं है। इन तीन डॉक्टरों में एक डिप्टी डायरेक्टर हैं जिन्होंने ज्वाइंट डायरेक्टर के रूप में प्रमोट होना है। एक डिस्ट्रिक्ट आयुर्वेदिक अफसर हैं जो रिटायर होने वाले हैं और एक सब डिविजनल आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर हैं जिनकी भी डीपीसी होने वाली है। आयुर्वेद विभाग में चर्चा है कि दो डॉक्टरों की प्रमोशन और एक की पेंशन के चक्कर में इनका ऑर्डर आ गया, जबकि निदेशक को लेकर अभी जांच का ऑर्डर लंबित है।
ऑडिट रिपोर्ट पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं
आयुर्वेदिक खरीद के मामले में जहां एक तरफ आयुक्त विभागीय जांच इंक्वायरी कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कैग ने भी इस पूरे मामले का ऑडिट किया है। ऑडिट टीम ने विभाग को रिपोर्ट दी है कि इस खरीद घोटाले के कारण एक करोड़ 60 लाख की खरीद में करीब 78 लाख का नुकसान सरकारी खजाने को हुआ है। लेकिन इस रिपोर्ट पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कौन क्या कहता है?
आयुर्वेदिक खरीद के विवाद में जिन तीन डॉक्टरों को आरोपी बनाया गया था, उनके बारे में आयुक्त विभागीय जांच से रिपोर्ट आ गई है और इस पर संबंधित डॉक्टरों से रिप्लाई मांगा गया है। आगामी कार्रवाई जल्द की जाएगी।
-अजय शर्मा, सचिव आयुर्वेद हिमाचल सरकार
आयुर्वेद विभाग में सामने आए खरीद मामले की जांच पूर्व आयुक्त विभागीय जांच कर रहे थे। उन्होंने ही आरगुमेंट और एविडेंस लिया है। इसलिए ऑर्डर भी वही देंगे। वह इस केस के बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं बता पाएंगे।
-सीपी वर्मा, वर्तमान आयुक्त विभागीय जांच