राजीव भनोट। ऊना:
एक तरफ तो प्रदेश सरकार निवेश को लाने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर एक निवेशक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा-लगाकर इस कदर थक गया कि उसने हिमाचल में निवेश न करने का निर्णय करते हुए किसी और प्रदेश का रुख करने का मन बना लिया है।
इसके लिए बाकायदा निवेशक ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा है कि यदि सरकार नि:शुल्क या कमर्शियल रेट पर भूमि उपलब्ध नहीं करवा सकती तो उनकी कंपनी एजी डॉटर्स प्रदेश में निवेश न कर किसी अन्य प्रदेश में निवेश करने को तरजीह देगी। कंपनी के चेयरमैन अजय गिरोत्रा ने हिमाचल दस्तक से बात करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि 19 महीने पहले जीरो वेस्ट के तहत ऊना में जीरो कार्बन बिजली, जीरो कार्बन डीजल व ड्रिंकिंग वाटर बनाने के लिए यूनिट लगाने की बात की गई थी। इसके लिए 8 से 10 हजार स्क्वायर मीटर जमीन सरकार से मांगी गई थी।
इसके लिए बाकायदा डीसी ऊना के सामने नगर परिषद पुणे के साथ समझौता भी किया था। जिला प्रशासन की ओर से एक जमीन के लिए बात चली, लेकिन विवाद के चलते वह जमीन मिल नहीं पाई। कई बार फाइल इधर से उधर घूमती रही। उसके बाद इंडस्ट्री डिपार्टमेंट से बात चली और इस प्रोजेक्ट के लिए पंडोगा इंडस्ट्रियल एरिया में 2 प्लॉट भी देखे गए और अधिकारियों ने इन्वेस्टर मीट के तहत मुख्यमंत्री के साथ वार्ता भी करवाई। लेकिन अब उन प्लॉट्स को देने से भी इनकार हो गया है। ऐसे में बिना जमीन इन्वेस्ट करना मुश्किल है। यदि सरकार जमीन नहीं देगी तो 400 करोड़ रुपये का निवेश कैसे किया जा सकता है?
उन्होंने कहा कि इससे रोजगार भी उपलब्ध होना है और 27 से अधिक गांव सस्ती बिजली से लाभान्वित होंगे। सबसे बड़ी बात है कि कूड़ा-करकट जो समस्या रहता है, उसका प्रयोग बिजली बनाने के लिए किया जाएगा। ऐसे में जब किसी अधिकारी ने भी कोई रुचि नहीं ली और बात नहीं सुनी तो मुख्यमंत्री को सीधे पत्र लिखकर अंतिम बार इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। यदि मुख्यमंत्री की ओर से कोई रिस्पांस नहीं आता है तो वह इस पत्र के माध्यम से ही समझौते को खत्म मानते हुए किसी अन्य प्रदेश का रुख करेंगे। कंपनी सरकार को अंतिम अवसर दे रही है निवेश का।
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री इस मामले में स्पष्ट जवाब दें तो बेहतर रहेगा। बता दें कि नगर परिषद ने 400 करोड़ के प्रोजेक्ट वेस्ट एनर्जी के लिए एजी डॉटर्स कंपनी के साथ प्रपोजल फाइनल किया था। इसके तहत एनर्जी प्रोजेक्ट ऊना में लगाया जाना था। 8 जून, 2018 को किए गए प्रपोजल को स्वीकृति भी मिली। सरकार की ओर से इसमें जमीन ही दी जानी थी। 3 जुलाई, 2018 को एजी डॉटर्स वेस्ट प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली के साथ कुछ अमेंडमेंट्स के साथ अंतिम समझौता किया गया था। नगर परिषद ऊना ने इसकी जानकारी निदेशक अर्बन विकास को दी और जिलाधीश ऊना से समझौता हुआ।
13 जुलाई, 2018 को जिलाधीश से इस प्लॉट को स्थापित करने को लेकर पत्राचार हुआ। बहडाला में इसके लिए एक जमीन को शहरी विकास विभाग के नाम किया भी गया। लेकिन लोगों के विरोध के कारण इस पर आगे काम नहीं बढ़ पाया और विवाद के चलते किसी और स्थान की ओर बढऩा पड़ा।
हिमाचल का है पहला प्रोजेक्ट
एजी डॉटर्स कंपनी द्वारा वेस्ट से बिजली, डीजल व पानी बनाए जाने का प्रोजेक्ट अपनेआप में हिमाचल का पहला प्रोजेक्ट होगा। इसको सरकार की उपलब्धि के तौर पर शुरू में भाजपा नेताओं ने पेश भी किया, लेकिन इस नए प्रोजेक्ट को गंभीरता से न लेने के कारण इस पर अबं संकट आ गया है।
पंडोगा में प्लॉट पसंद, पर विभाग का इनकार
किसी और स्थान पर भी उपयुक्त जमीन न मिलने के चलते पंडोगा के नए स्थापित हो रहे इंडस्ट्रियल एरिया में खाली प्लॉट पर कंपनी की सहमति बनी। परंतु उस पर भी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। इंडस्ट्री विभाग ने प्लॉट देने से इनकार कर दिया।
सीएम से अंतिम निवेदन
कंपनी ने अब निराश होकर मुख्यमंत्री को पत्र लिख अंतिम बार जमीन उपलब्ध करवाने के लिए निवेदन किया है। यदि जमीन नहीं मिलती है तो कंपनी निवेश से अपने हाथ खींच लेगी।
ऊना जिले को होना है लाभ
इस निवेश में जिले को लाभ होना है, वहीं सरकार ने जमीन देने के अलावा कुछ नहीं करना है। कंपनी पूरा खर्च स्वयं वहन करेगी। निवेशक ने उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बाद जरूर कंपनी की कोई सुनवाई होगी। वरना मजबूरन कंपनी को कड़वे अनुभव लेकर बाय-बाय करना होगा।