वन एवं परिवहन मंत्री बोले, कांग्रेस ने केवल रोड शो की परंपरा निभाई, सरकार ने पहली बार किए 83000 करोड़ रुपये के एमओयू
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : वन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने धर्मशाला में आयोजित होने वाली इन्वेस्टर मीट से हिमाचल में आर्थिक विकास एवं सामाजिक खुशहाली के नए अध्यास का सूत्रपात होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से राज्य में पहली बार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है।
गोबिंद ने कहा कि विपक्ष के कुछ नेता इन्वेस्टर मीट को लेकर प्रश्न कर रहे हैं, जबकि पूर्व कांगे्रस सरकार ने निवेश आकर्षित करने के लिए करोड़ों रुपये खाली रोड शो पर ही व्यय कर दिए थे, लेकिन निवेश के नाम पर वो एक फूटी कौड़ी तक नहीं जुटा पाए थे। वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से निवेश आकर्षित करने के लिए कठोर परिश्रम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर मीट का आयोजन रातों रात नहीं हो रहा है, बल्कि यह पिछले एक वर्ष में राज्य सरकार के परिश्रम का फल है।
इसके लिए मुख्यमंत्री ने जहां देश-विदेश में उपयुक्त वातावरण निर्माण करने में व्यक्तिगत प्रयास किए, वहीं व्यवसाय की सुगमता की दिशा में 150 से अधिक रेगुलेटरी सुधार, 50 से अधिक विभागों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करने तथा 40 से अधिक सेवाओं को ऑनलाइन किया जाना है। प्रदेश सरकार ने सिंगल विंडो एक्ट 2018 और हिमाचल प्रदेश माइक्रो इंटर प्राइजेज फैसिलिटेशन काउंसिल नियम 2018 जैसे नियमों एवं अधिनियमों का सरलीकरण कर विकासोन्मुख गतिविधियों को बढ़ावा देने का कार्य किया है। अभी तक 83 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
रोजगार के नए अवसर लाएगी इन्वेस्टर मीट
पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि धर्मशाला में 7 और 8 नवंबर को होने वाली इन्वेस्टर मीट राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण है, जो प्रदेश की आर्थिकी में तथा युवाओं को रोजगार जुटाने में आने वाले दिनों में बहुत आकर्षक भूमिका निभाएगा। 588 समझौतों द्वारा 83 हजार करोड़ के निवेश से हिमाचल का भविष्य संवरेगा। इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम तथा उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र हैं।
कश्यप ने कहा कि 2003 में जब धूमल सरकार के समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल को दस वर्ष के लिए औद्योगिक पैकेज दिया था, उसे भी वीरभद्र सरकार बनने के बाद ठीक से लागू न कर पाने से हिमाचल को नुकसान पहुंचाया था। इसमें भी केवल 20 हजार करोड़ का निवेश हुआ।