हिमाचल प्रदेश : विजय कुमार संपादकीय : बीबीएन में एक ओर अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा जाना व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। एक तरफ तो प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने की कवायद चलाई जा रही है, दूसरी ओर यहां का घिनौना चेहरा उजागर हो रहा है। यदि प्रदेश को सही मायने में औद्योगिक हब बनाना है, तो सुशासन भी लाना पड़ेगा।
वैसे तो प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा जाना नई बात नहीं है। ऐसे मामले अकसर सामने आते रहते हैं। यह प्रवृत्ति बिलकुल ठीक नहीं है। लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में तो इसके भयंकर परिणाम सामने आ सकते हैं। ताजा मामले में झाड़माजरी के उद्योग से फायर एनओसी देने की एवज में रिश्वत मांगी गई थी। इसी को लेते हुए फायर अफसर बद्दी रंगेहाथ दबोचा गया है। यह अफसर एनओसी की फाइल पिछले 2 महीने से रोके बैठा था। बीबीएन में रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस के हत्थे चढ़ा यह अफसर दमकल विभाग का दूसरा अधिकारी है।
बीबीएन में अभी तक छह से अधिक विभिन्न विभागों के अधिकारी विजिलेंस की हत्थे चढ़ चुके हैं। इनमें ड्रग विभाग, दमकल विभाग, एसडीएम कार्यालय, होमगार्ड समेत अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस औद्योगिक क्षेत्र में रिश्वत का गौरखधंधा कैसे चल रहा है। यह एक तो निवेश के प्रयासों को धत्ता बताता है, जिसमें उद्योग मित्र माहौल का दम भरा जाता है। दूसरा इस तरह से एनओसी देना लोगों की जान जोखिम में डालने के समान भी है। प्रदेश सरकार को इस मामले का कड़ा संज्ञान लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामले फिर सामने न आएं।