पंकज ठाकुर। ज्वालामुखी
देश के लिए शहादत का जाम पीने वालों के नाम पर सरकार की ओर से कई घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन कई घोषणाएं ऐसी भी होती हैं, जिन पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता है। इसके अलावा शहीद के परिवार की तरफ से भी शहीदों को सम्मान देने के लिए सरकार से आवाज उठाई जाती है, ताकि आने वाली युवा पीढ़ी शहीदों की कुर्बानी को याद रखे।
हम बात कर रहे हैं भड़ोली के शहीद मान सिंह की। मान सिंह 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। मान सिंह के पिता लक्ष्मण सिंह प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हो चुके हैं। मंगलवार को शहीद मान सिंह के पुत्र सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुरेश कुमार पत्रकारों से रू-ब-रू हुए। 70 की उम्र पार कर चुके सुरेश कुमार ने कहा कि वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनके घर के पास मझीण चौक का नाम शहीद हुए पिता मान सिंह के नाम पर रखा जाए। इसके लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
सुरेश कुमार ने बताया कि नेशनल हाईवे वालों की तरफ से 2011 में इसके लिए स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन हिमाचल सरकार की तरफ से स्वीकृति आज तक नहीं मिल पाई, जबकि स्थानीय पंचायत ने भी प्रस्ताव पारित कर सरकार को 2017 में भेजा है और कहा है कि मझीण चौक का नाम शहीद मान सिंह के नाम पर रखा जाए।
सुरेश कुमार ने कहा वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि हिमाचल सरकार अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दे। इसके लिए बह दर-दर भटक रहे हैं। सुरेश कुमार ने बताया कि शहीद के परिवार वालों से ऐसा क्यों किया जा रहा है। उनकी इच्छा है कि आने वाली पीढ़ी भी पिता कि कुर्बानी को याद रखे। सुरेश कुमार ने बताया कि इसके लिए वह खुद उस समय के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिल चुके हैं। अब सुरेश कुमार ने दोबारा से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस बारे में लिखा है कि इसकी अनुमति दी जाए। सुरेश कुमार को उम्मीद है कि जब भी यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा तो वह जरूर इस पर फैसला लेंगे।
सुरेश कुमार ने कहा कि शहीदों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और होती है, जिसे जानने की कोशिश भी सरकारों को करनी चाहिए। अच्छा होता बड़े-बड़े मार्गों का नाम नेताओं के नाम पर रखने के बजाय शहीदों के नाम पर रखे जाएं।