ललित ठाकुर। पधर
उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत उरला में हर वर्ष आषाढ़ चार प्रविष्टे से मनाया जाने वाला तीन दिवसीय करालडी देवता मेला कोरोना की भेंट चढ़ गया। मेला स्थगित होने से क्षेत्र के ग्रामीणों को इस बार चौहारघाटी के बजीर नाम से विख्यात आराध्य देव पशाकोट के दर्शन नहीं हो पाए। मंदिर कमेटी ने देवता मंदिर करालडी में पूजा-अर्चना कर महज औपचारिकता निभाते हुए क्षेत्र की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय मेले की शोभा बढ़ाने के लिए देव पशाकोट हर वर्ष विशेष रूप से शामिल होते थे। देवता के वाद्य यंत्रों की सुर ध्वनि से समूचा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में गुंजायमान होता था। गांव-गांव में देवता के लिए जातर उत्सव का आयोजन किया जाता था। देवता से मन्नत मांगने और चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की सैकड़ों की तादाद में भीड़ उमड़ती थी।
देव पशाकोट गवालन, गैल, करालडी, खाभल, मसवाहण और सास्ती गांव का भ्रमण कर ग्रामीणों को घर-घर आशीर्वाद देते थे। तीन दिवसीय मेला का विधिवत समापन करने के बाद देव पशाकोट उरला, राजन गांव होते हुए फुटाखल गांव प्रवेश करते थे, जहां अगले दिन झाकड़ू के जातर मेले का आयोजन होता था। उसके बाद एक दिवसीय झटिंगरी मेला में देवता शामिल होते थे। तदोपरांत चौहारघाटी के टिक्कन में दो दिवसीय ग्रामीण मेले में शामिल होने बाद देव पशाकोट अपने मूल मंदिर में विराजमान होते थे। इस बार सभी ग्रामीण मेले कोरोना की वजह से स्थगित हो गए हैं। वहीं देव पशाकोट अपने मूल मंदिर बजगाण में ही विराजमान हैं।
मंदिर कमेटी करालडी के प्रधान पूर्ण चंद ने कहा कि मंदिर में पूजा-अर्चना कर महज औपचारिकता निभाई गई। देव पशाकोट से क्षेत्र की सुख, शांति की कामना की गई। इस दौरान पूर्व उपप्रधान टेक सिंह, दीप कुमार शर्मा, सुनील कुमार और पृथ्वी सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।