दिनेश कुमार। करसोग
करसोग उपमंडल के गांव नगलोग में महिला मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में लोग कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा द्वारा कोदरा की चाय बनाना सिखाया गया। उनका कहना है कि पारंपरिक फसल कोदरा कैल्शियम से भरपूर है। अगर गांव वाले इसकी चाय बनाकर पिएंगे तो उनको कभी कैल्शियम की कमी नहीं होगी। इसके अलावा शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ेगी।
कोरोना महामारी कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। इस दौरान देखने में आया है कि जिन लोगों की शारीरिक इम्युनिटी या नहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन लोगों को करुणा का संक्रमण जल्दी होता है। इससे बचने के लिए शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत है। आज करसोग की खादरा पंचायत के नगलोग गांव की महिला मंडल द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में लोक कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा, महिला मंडल की प्रधान आशा देवी व उनकी सदस्य आदि ने भाग लिया। इसके अलावा इस कार्यक्रम में शोभाराम विनोद कुमार व कृषि विभाग के चेतराम ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। नेक राम शर्मा ने उपस्थित महिला समूह को पारंपरिक फसलों का महत्व समझाया। इस दौरान उन्होंने खासतौर से पारंपरिक फसल कोदरा यानी फिंगर मिलटस की चाय बनाकर पिलाई। इसको रागी भी कहा जाता है।
उन्होंने लोगों के सामने उसको बनाकर भी दिखाया। चाय को बनाने के लिए 250 ग्राम कोदरा और इसके अलावा बराबर-बराबर मात्रा में मूंगफली, बादाम, अखरोट कूट कर डाले गए। इसका चाय पाउडर तैयार करने के लिए 250 ग्राम गोदरे को देसी घी के साथ भूना जाता है और इसमें बाकी सामग्री भी कूट कर डाली जाती है। जब यह भून कर तैयार हो जाता है, तो इसका पाउडर बना लिया जाता है। एक कप चाय में इसकी 2 चम्मच और गुड़ मिलाकर पिया जाता है।
लोक कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा का कहना है कि 100 ग्राम कोदरा की चाय में 344 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। अगर हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो अन्य तत्व भी कार्य नहीं करते। इससे शारीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। इसलिए अपनी पारंपरिक फसलों को बचाते हुए हमें उनका खाने में लगातार इस्तेमाल करना चाहिए।