हिमाचल दस्तक। धर्मशाला : आईएसआईएस के मुखिया और कुख्यात आतंकी अबु बकर अल बगदादी के खात्मे के लिए चलाए ऑपरेशन का नाम समाज सेविका एवं मानवाधिकारों की लड़ाई लडऩे वाली कायला मुल्लर के नाम पर दिया था।
ऐसे में क्षेत्र में कायला मुल्लर के नाम की चर्चा हो रही है। कायला ने भारत में तिब्बती शरणार्थियों के साथ भी काम किया था। चर्चा रही कि 2010 में कायला यहां आई थी। हालांकि किसी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। निर्वासित तिब्बती संसद के प्रतिनिधि भी कायला की मौत पर दुख तो जता रहे हैं, लेकिन कायला मुल्लर कभी धर्मशाला आई थी, इस संबंध में जानकारी होने से वो भी इंकार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 में कायला सीरिया में एक अस्पताल में आईएसआईएस के आतंक से पीडि़त लोगों की सहायता कर रही थी तो वहां उसका आईएसआईएस के आतंकियों ने अपहरण कर अपने मुखिया बगदादी के हवाले कर दिया था।
अमेरिका ने बगदादी के खात्मे के लिए ऑपरेशन का नाम कायला मुल्लर को समर्पित करके उसे श्रद्धांजलि दी है। उधर निर्वासित तिब्बत संसद के डिप्टी स्पीकर यशी फुंत्सोक ने कहा कि मुझे इतना ही कहना है कि कायला तिब्बत समर्थक थी और उनकी मौत का हमेशा दुख रहेगा। हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में दो तरह के आतंकवादी हैं, एक खुले आतंकवादी और एक अंडरग्राउंड आतंकवादी और हर आतंकवादी का अंत होता है।