प्रदेश के कई जिलों में आज सैर या सायर का पर्व मनाया जा रहा है। इसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह के पहले प्रविष्टे यानी पहली तारीख को मनाया जाता है जिसे हिमाचल में सगरांद (संक्रांति) कहा जाता है।
क्यों मनाई जाती है सैर
पहले के दौर में न तो टीकाकरण होता था न ही बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर। बरसात के दिनों में पीने के लिए स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं होता था। ऐसे में बरसात के दिनों में कई संक्रामक बीमारियां फैल जाया करती थीं जिससे इंसानों और पशुओं को भी भारी नुकसान होता था।
फिर जैसे की भारी बारिश का दौर खत्म होता, लोग इसे उत्सव की तरह मनाते। यह एक तरह का जश्न था कि बरसात बीत गई और हम सुरक्षित रहे। फिर सैर वाले दिन लोग दरअसल प्रकृति का शुक्रिया अदा करते थे कि चलो, अनहोनी नहीं हुई।