- जनजातीय क्षेत्रों में ऋण के लिए जमीन गिरवी रखने को मांगी है अनुमति
- विधानसभा से संशोधन विधेयक 23 दिसंबर 2016 को किया है पारित
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : प्रदेश सरकार ने 2016 का संशोधन विधेयक संख्या 22 विधानसभा में पुर:स्थापित किया गया था। जिसे उस द्वारा तारीख 23 दिसंबर 2016 को पारित किया गया था। यह विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित रखा गया था, लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2016 में पारित विधेयक में कुछ संशोधनों का सुझाव दिया था।
उसके बाद ही प्रदेश के जयराम सरकार ने संशोधित विधेयक मानसून सत्र में पारित किया था। ऐसे में अब इस विधेयक को लागू करने के लिए राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने का इंतजार रहेगा। प्रदेश की जयराम सरकार ने ट्राइबल एरिया के लोगों को ऋण लेने के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए ही इस विधेयक में संशोधन किया है। राष्ट्रपति भवन से विधेयक की फाइल वापस आने के बाद ही नए नियम लागू हो जाएंगे। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को किसी भी बैंक से ऋण लेने में सुविधा देने वाले विधेयक की फाइल अभी तक राष्ट्रपति भवन से वापस नहीं आई है।
इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने जनजातीय विकास मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया है। यदि यह बिल प्रदेश में लागू हो जाता है तो प्रदेश के जनजातीय जिलों के लोग किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण ले सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश भूमि अंतरण अधिनियम 1968 के कानून में प्रदेश सरकार ने संशोधन विधेयक सदन में पारित किया था।
जिसे राज्यपाल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति को भी भेज दिया, मगर अभी तक राष्ट्रपति से विधेयक की फाइल वापस नहीं आई। हालांकि वर्तमान में इन क्षेत्रों के लोगों को राज्य के सहकारी बैंक से जमीन मोर्टगेज कर ऋण दिया जाता है। पुराने नियमों में संशोधन कर प्रदेश सरकार ने विधेयक को पारित किया। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को जमीन के एवज में ऋण लेने के लिए इस विधेयक में कानून का प्रावधान किया गया।
प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को ऋण लेने में सुविधा देने के लिए सरकार ने विधेयक पारित किया था, जिसे राष्ट्रपति भवन को भेज दिया गया। अभी फाइल नहीं आई है, इसे देखते हुए जनजातीय विकास मंत्रालय को रिमांइडर भेजा गया।
-डॉ. रामलाल मार्कंडेय जनजातीय विकास मंत्री