पारंपरिक पत्तल-दोने बनाने वालों को किया जा रहा प्रमोट, 10 हजार टन प्लास्टिक सीमेंट फैक्टरियों में भेजा, जनवरी से नहीं होगा फूड सर्विंग में पॉलिथीन और थर्मोकोल का प्रयोग
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला : देवभूमि हिमाचल प्रदेश प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में लीडर है। अब इसी हिमाचल में पारंपरिक पत्तल-दोने बनाने वालों को प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह की मशीनें कॉरपोरेट एन्वायरमेंट रिस्पांसबिलिटी में उन लोगों को दी जा रही हैं जो पत्तल व दोने बनाने का काम करते हैं। प्रदेश में अब तक 10 हजार टन प्लास्टिक सीमेंट फैक्टरियों को भेजा गया है।
जानकारी के अनुसार फूड सर्विंग और इटिंग में पॉलिथीन और थर्मोकाल का प्रयोग हानिकारक है। ऐसे में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी की है, जिसके तहत जनवरी माह से पॉलिथीन और थर्मोकाल का प्रयोग नहीं हो पाएगा। धर्मशाला में वीरवार से शुरू होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में एन्वायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से एक प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसका थीम प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट है। हालांकि हिमाचल क्षेत्र इस फील्ड में लीडर है। वर्ष 1995 में एक एक्ट पास किया गया था, जिससे कि प्लास्टिक से बनी चीजों को रेगुलेट किया जा सके।
इसके बाद हिमाचल ने लगातार प्लास्टिक वेस्ट की रेगुलेशन का काम किया, जो कि पॉलिथीन बैग से शुरू हुआ, उसके बाद सिंगल ल्यूस कटलरी है, उसे बैन किया। इसके साथ जो प्लास्टिक उपलब्ध है उसे कैसे प्रयोग में लाया जा सके और साइंटिफिक तरीके से डिस्पोज ऑफ किया जा सके, उस पर काम हुआ है। यही कारण था कि 10 हजार टन के लगभग प्लास्टिक वेस्ट सीमेंट फैक्टरी में गया है और कटलरी को बैन दिया जा रहा है। प्लास्टिक को तो, ऐसे में पत्तल व डुना जो पारंपरिक तरीके से लोग यहां बनाते थे, उन्हें प्रमोट करते हुए इस तरह की मशीनें कॉरपोरेट एन्वायरमेंट रिस्पांसबिलिटी में उन लोगों को दी जा रही हैं।
हिमाचल प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में लीडर है। हिमाचल में पारंपरिक पत्तल-डुने बनाने वालों को प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह की मशीनें कारपोरेट एन्वायरमेंट रिस्पांसबिलिटी में उन लोगों को दी जा रही हैं। जो पत्तल व डुने बनाने का काम करते हैं। प्रदेश में अब तक 10 हजार टन प्लास्टिक सीमेंट फैक्टरियों को भेजा गया है। सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी की है। पॉलिथीन व थर्मोकोल का प्रयोग फूड सर्विंग और फूड इटिंग के लिए यूज नहीं होगा, यह नोटिफिकेशन जनवरी से लागू हो जाएगी। इनका विकल्प क्या होगा, यह मार्केट डिसाइड करेगी आने वाले समय में। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
-डीसी राणा, डायरेक्टर, एन्वायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग