गृह विभाग ने सोमवार को जारी की अधिसूचना
30 जून 2015 को दी थी राष्ट्रपति ने मंजूरी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
करीब पांच साल बाद हिमाचल में लोकायुक्त एक्ट लागू हो गया। लोकायुक्त एक्ट-2014 के रुल्ज तैयार होने के बाद गृह विभाग ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। ऐसे में अब लोकायुक्त एक्ट नए सिरे से लागू होगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में लोकायुक्त एक्ट-2014 को राष्ट्रपति ने 30 जून 2015 को मंजूरी दे दी थी। वर्तमान की जयराम सरकार ने अब इस एक्ट को लागू कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 जून 2015 को राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट-2014 को मंजूरी दे दी थी। वर्ष 1983 यानी करीब 34 साल बाद हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त के रूल्ज एंड रेगुलेशन में पूरी तरह से बदलाव हुआ है। नया स्टॉफ से लेकर सभी विंग को स्थापित करने के लिए सभी नियमों को तैयार कर दिया है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट-1983 में जांच व अभियोजन विंग नहीं थी, जिसे स्थापित करने के लिए न्यू एक्ट के तहत पूरा स्टाफ भी चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकायुक्त एक्ट-2014 में निदेशक जांच तथा निदेशक अभियोजन की नियुक्ति होगी। हालांकि यहां प्रशासनिक विंग पहले से ही है, लेकिन न्यू एक्ट लागू होने से स्टॉफ में भी वृद्धि होगी।
लोकायुक्त एक्ट-2014 के तहत लोकायुक्त का अपना पुलिस थाना होगा। पहले चरण में शिमला, धर्मशाला व मंडी में लोकायुक्त पुलिस थाना खुलेंगे। लोकायुक्त थोने में ही केस दर्ज किए जाएंगे। प्रोवेंशन ऑफ क्रप्शन एक्ट 1988 (केंद्र) तथा 1983 (राज्य) के तहत इन लोकायुक्त पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज किए जाएंगे। साथ ही कोड ऑफ क्रिमीनल प्रोसिजर एक्ट-1973 के तहत पुलिस स्टेशनों की प्रक्रिया चलेगी। हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट में तीन बार संशोधन के बाद ये लागू होने जा रहा है।
दो साल से खाली है लोकायुक्त की कुर्सी
पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एलएस पांटा दो फरवरी 2017 को सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद से लोकायुक्त की कुर्सी खाली चल रही है। प्रदेश में सशक्त लोकायुक्त एक्ट लागू करने के लिए रूल एंड रेगुलेशन तैयार हो चुका है। हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी यह संकेत दे दिए हैं कि हिमाचल में जल्द ही लोकायुक्त की नियुक्ति की जाएगी।
लोकायुक्त एक्ट पर कब क्या हुआ
प्रदेश में पहली बार लोकायुक्त एक्ट-1983 में आया। इस एक्ट को संशोधन के साथ सशक्त बनाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2011 में राष्ट्रपति को भेजा, लेकिन मंजूरी नहीं मिली थी। वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो बजट सत्र 2013 में संशोधित बिल लाया गया, जिसे शीतकालीन सत्र धर्मशाला में विपक्ष द्वारा विरोध करने पर वापस लिया गया। उसके बाद 2015 के बजट सत्र में संशोधन के साथ विधानसभा में यह बिल पास हुआ। इसे 30 जून 2015 को देश के राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। करीब पांच साल बाद प्रदेश सरकार ने नए रूल्ज के साथ लोकायुक्त एक्ट को लागू कर दिया।
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