राजीव भनोट। ऊना
26 मई को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस ग्रहण को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि न तो इस ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव होगा और न ही इसका सूतक लगेगा, जिस कारण शुभ कार्य भी वर्जित नहीं होंगे।
ज्योतिष शोधार्थी व एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान शोध पुस्तक के लेखक गुरमीत बेदी के अनुसार इस साल कुल 4 ग्रहण लगने हैं जिनमें दो चंद्र ग्रहण व दो सूर्य ग्रहण शामिल हैं। इनमें से कोई भी ग्रहण भारत में प्रभाव नहीं डाल पाएगा । भारत में यह ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई भी नहीं देंगे और इनके उपच्छाया ग्रहण होने के कारण देशवासी इसके नकारात्मक प्रभाव से बचे रहेंगे।
गुरमीत बेदी ने बताया कि 26 अप्रैल को दोपहर 2:17 से शाम 7:19 तक जब पहला चंद्र ग्रहण लगेगा तो उस समय बुध, राहु, सुर्य और शुक्र ये चार ग्रह वृषभ राशि में ग्रह मौजूद रहेंगे। जबकि शनि मकर राशि में, मंगल मिथुन राशि में, गुरू मीन राशि में और केतु चंद्रमा के साथ वृश्चिक राशि में मौजूद रहेंगे। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण चूंकि वृश्चिक राशि में पड़ रहा है, इसलिए सिर्फ वृश्चिक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
गुरमीत बेदी ने बताया कि यह ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में ही पूरी तरह से प्रभावी होगा। उन्होंने कहा ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी, सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है । यानी जब पृथ्वी , सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होती है तो चंद्र ग्रहण लगता है। इस स्थिति में पृथ्वी की पूरी या आंशिक छाया चंद्रमा पर पड़ती है। उपच्छाया की स्थिति में चन्द्रमा की सतह कुछ धुंधली सी दिखाई देने लगती है, यह स्थिति ही उपच्छाया ग्रहण कहलाती है। 26 मई का यह चंद्रग्रह भी उपच्छाया ग्रहण है।