चंदन महाशा। कांगड़ा:
शक्तिपीठ माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा में घृत पर्व व मकर संक्रांति के पर मंगलवार को देर रात जागरण के साथ-साथ माता की पिंडी व मंदिर परिसर में क्षेत्रपाल भगवान पर मक्खन का लेप चढ़ाकर फल और मेवों से मां की पिंडी का शृंगार किया गया।
मां की पिंडी के शृंगार के लिए श्रद्धालुओं ने बज्रेश्वरी देवी मंदिर में 25 क्विंटल देसी घी अर्पित किया था, जिसका 101 बार पानी से धोकर मक्खन तैयार किया गया। सहारनपुर से मां के भक्त द्वारा जागरण का आयोजन किया गया। वहीं, मंदिर परिसर को भी रंग-बिरंगी लाइट व फूलों से सजाया गया है।
यह है मान्यता पौराणिक कथा के अनुसार मां बज्रेश्वरी देवी जब जालंधर दैत्य से युद्ध करते हुए घायल हो गईं, तब देवताओं ने उनके घावों पर मक्खन से लेप किया था, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि सात दिन तक मक्खन माता की पिंडी पर चढ़ा रहता है
। सातवें दिन पिंडी से मक्खन उतारने की प्रक्रिया शुरू होती है, फिर इस मक्खन को श्रद्धालुओं में प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। यह भी मान्यता है कि इस प्रसाद को खाया नहीं, अपितु शरीर पर लगाने से चर्म जैसे रोग दूर होते हैं।
मक्खन की क्या है विशेषता
माता बज्रेश्वरी देवी की पिंडी पर चढ़ाया गया मक्खन बहुत शुद्ध है तथा शरीर में होने वाली दर्द अथवा चर्म रोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शरीर पर होने वाली फोड़े-फुंसियों तथा चर्म रोग पर मक्खन का लेप लगाने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। मक्खन रूपी प्रसाद को लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु माता ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में पधारते हैं।
20 को बंटेगा मक्खन रूपी प्रसाद
मंदिर सहायक आयुक्त जतिन लाल ने बताया कि कि माता की पिंडी पर मक्खन का लेप सात दिन तक चढ़ा रहेगा। 20 जनवरी को सुबह 5.00 बजे लेप उतारने का कार्य शुरू हो जाएगा। इसके बाद प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में मक्खन बांटा जाएगा।