एजेंसी।मुंबई
बंबई उच्च न्यायालय ने फिल्म और टीवी कार्यक्रमों के सेट पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को आने की अनुमति नहीं देने के मामले में महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस उम्र से अधिक के शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति गरिमामय जीवन कैसे बिता पाएंगे अगर उन्हें बाहर निकलने और आजीविका हासिल करने की इजाजत ही नहीं दी जाएगी।
न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला की खंड पीठ ने प्रमोद पांडे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये टिप्पणियां की, जिसमें राज्य सरकार द्वारा 30 मई, 2020 को जारी दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है। इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि 65 वर्ष से अधिक वायु वाले किसी भी कास्ट या क्रू सदस्य को शूटिंग के दौरान फिल्म या टीवी सेट पर आने की अनुमति नहीं होगी।
70 वर्ष के याचिकाकर्ता ने कहा कि वह चार दशक से टीवी सीरियल और फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभा रहे हैं और उनके पास आय का कोई दूसरा स्रोत नहीं है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। इसके बावजूद उन्हें स्टूडियो तक जाने और शूटिंग में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी जा रही है।
उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा कि छोटे किरदार निभाने वाले कलाकारों को स्टूडियो जाना पड़ता है और दो वक्त की रोटी कमाने के लिए काम मांगना पड़ता है। कोई भी निर्देशक या निर्माता उनकी भूमिका फेसटाइम, जूम या स्काइप से शूट नहीं करने वाला है। अदालत ने कहा, राज्य सरकार को एक हलफनामे में बताना होगा कि 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सम्मानित जीवन कैसे जिएगा, अगर उसे आजीविका के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।