सांगली : महाराष्ट्र की एक स्थानीय अदालत ने 2015 में सांगली जिले में एक ही परिवार की तीन महिलाओं की हत्या के मामले में मंगलवार को दो लोगों को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने कहा कि यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह 12 साल का बच्चा था, जो दरवाजे के पीछे छिपकर हमले से बच गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी पी सत्वलेकर ने सुधीर सदाशिव घोरपड़े और रवीन्द्र रामचन्द्र कदम को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों को घोरपड़े की बहन विद्यारानी के पति के तीन रिश्तेदारों की हत्या का दोषी करार दिया गया।
अदालत ने दोनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। निकम ने कहा, मामले की सुनवाई के दौरान बच्चे का बहादुरी भरा बयान निर्णायक साबित हुआ। हमने 21 गवाहों से पूछताछ की और 12 वर्षीय चश्मदीद गवाह तथा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाया।