शैलेश सैनी। नाहन
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में पिछले 2 दिनों से स्टेट नारकोटिक्स क्राइम कंट्रोल और ड्रग डिपार्टमेंट के द्वारा बड़ी कार्यवाही अमल में लाई जा रही है। जिसके तहत नारकोटिक्स तथा साइकॉट्रॉपिक दवा बनाने वाली फैक्ट्रियों के के तमाम रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज शनिवार को जिला सहायक दवा नियंत्रक सनी कौशल ड्रग इंस्पेक्टर ललित भूमिका नरेंद्र ठाकुर रजत कुमार तथा डीएसपी नारकोटिक्स दिनेश शर्मा सब इंस्पेक्टर जगदीश सिंह ने संयुक्त रूप से काला अंब की 5 दवा इंडस्ट्री का औचक निरीक्षण। जिसमें वैरव बॉयोजेनेसिस प्राइवेट लिमिटेड, हरिजन बायो सयूटिकल प्राइवेट लिमिटेड पुष्कर फार्मा, एसबीएस बायोटेक हिंदूकुश बायोटेक मैं निरीक्षण किया गया।
इस निरीक्षण में फैक्ट्रियों के फिजिकल स्टॉक रोम इटली और तैयार माल के साथ-साथ लाइसेंस प्रोडक्ट अप्रूवल रिकॉर्ड रजिस्टर तथा सेल के अलावा मार्केटिंग बाय कंपनियों के साथ एग्रीमेंट को भी चेक किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार ड्रग इंस्पेक्टर भूमिका वाह बद्दी से आए ड्रग इंस्पेक्टर रजत व एसएनसीसी की टीम ने जिन दो एसबीएस और इंडकुश बायोटेक में छानबीन करी तो वहां एग्रीमेंट संबंधित दस्तावेज नहीं दिखाए जा सके। जिसको लेकर निरीक्षण टीम के द्वारा उन्हें 3 दिन का समय दिया गया है। यदि 3 दिनों में यह रिकॉर्ड ना दिखा पाए तो इन पर विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।
वही बीते कल जिला सिरमौर ड्रग डिपार्टमेंट और नारकोटिक्स की टीम ने पांवटा साहिब में भी संयुक्त कार्यवाही करते हुए करीब 15 के लगभग दवा कंपनियों का औचक निरीक्षण किया।जिनमें नितिन लाइफ साइंस मैनकाइंड फार्मा, लेनार्क, लैबोरेट फार्मा, 3बी हेल्थ केयर, आर एच लैबोरेट्री,कोप मैड, रिलैक्स फार्मा तथा क्विक एंड केयर आदि के रिकॉर्ड खंगाले। बता दें कि यह वह दवा फैक्ट्रियां हैं जिनमें नारकोटिक्स तथा साइकॉट्रॉपिक दवाएं बनाई जाती है। यह वही दवाएं हैं जिनका दवा के अलावा नशे के लिए भी मिस यूज होता है। जिला सिरमौर की दो फार्मा यूनिट पर हुई कार्यवाही के बाद प्रदेश सरकार के द्वारा यह बड़ा निरीक्षण अभियान चलाया गया है। अच्छी बात तो यह रही कि अभी तक करीब 20 इंडस्ट्री का रिकॉर्ड खंगाला गया जिनमें लगभग सभी का तमाम रिकॉर्ड सही पाया गया है।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि जिला सिरमौर में करीब 150 के लगभग कुल फार्मा यूनिट हैं। दिन में करीब 45 के लगभग ऐसी दवा फैक्ट्रियां हैं जिनमें नारकोटिक्स तथा साइकॉट्रॉपिक दवाएं बनाई जाती है।पंजाब में यहां की बनी कुछ दवा फैक्ट्रियों की दवाएं नशे के कारोबारियों से पकड़ी गई थी। जिसके बाद दवा निर्माताओं के ऊपर सवालिया निशान भी लगे थे। मगर अच्छी बात तो यह है कि अभी तक जो भी कार्यवाही अमल में लाई गई हैं उनमें राज्य की ओर से कहीं भी कोई खामी यह गलती नहीं पाई गई है। जाहिर है मार्केटिड बाय यानी मुंबई और गुजरात में कुछ ऐसे फर्जी फर्मे हैं जिन्होंने मार्केटिड बाय के फंडे को लेकर हिमाचल की कुछ फार्मा यूनिट का मिस यूज किया है। जिसके बाद प्रदेश नारकोटिक्स डिपार्टमेंट और ड्रग डिपार्टमेंट के द्वारा संयुक्त रूप से बड़ी कार्यवाही अमल में लाई गई। उधर, जिला सहायक दवा नियंत्रक सनी कौशल के द्वारा खबर की पुष्टि की गई है।