धर्म चंद वर्मा। मंडी
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी महर्षि पराशर जी महाराज अपने मूल भंडार कोठी गांव बाहंदी से अपने कारकूनों एवं हारियानों के साथ जिला प्रशासन के निमंत्रण पर अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए रवाना हुए।
राजा अजबर सेन के समय से महर्षि पराशर जी सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।मंडी मे प्रशासन और सर्व देवता सेवा समिति की तरफ से रहने खाने-पीने और ठहरने की उचित व्यवस्था की जाती है। सनद रहे कि मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत का कुलदेवता होने के कारण महर्षि पराशर जी लगभग 50 किलोमीटर का सफर पैदल चलकर अपने दायित्वों का निर्वहन मंडी रियासत की खुशहाली के लिए करते हैं।
मंडी राजघराने का कुलदेवता होने के कारण पूरे शिवरात्रि महोत्सव में राज बेहड़े में ही नरोल के देवता के रूप में ठहरते हैं। शिवरात्रि मेले की अंतिम संध्या के दिन “जाग” का आयोजन महर्षि पराशर जी महाराज के द्वारा किया जाता है। जिला मंडी की देव संस्कृति में जाग का विशेष महत्व होता है।
जाग का महत्व इसलिए विशेष होता है कि महर्षि पराशर जी महाराज अपने गूर के माध्यम से अदृश्य दुष्ट शक्तियों का हनन करके अग्निकुंड में भस्म कर देते हैं ताकि हमारे समाज में किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक घटना न घटे और न ही किसी भी प्रकार की व्याधि या महामारी फैले। गौर की बात यह है कि कोरोना महामारी के इस भयंकर दौर में मंडी जनपद में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर सभी लोग सुरक्षित रहे।