मस्तराम डलैल। शिमला:
महिला शक्ति। आधी आबादी। मंडी संसदीय क्षेत्र में महिला और पुरुष मतदाता करीब-करीब बराबर हैं। बावजूद इसके सियासी पार्टियां यहां कभी भी महिलाओं को उस तरह से आगे नहीं करतीं जैसा होना चाहिए था। अब तक के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने तो कभी किसी महिला को टिकट देना तक ठीक नहीं समझा। कांग्रेस की स्थिति कुछ अलग जरूर है। पहले चुनाव को छोड़ दें तो महज रानी प्रतिभा सिंह ही मैदान में डटी रहीं है। लेकिन ऐसा हरगिज नहीं है कि कांग्रेस किसी महिला सशक्तिकरण के चलते उन्हें टिकट देती रही हैं। ये सरासर सियासी कारण रहे हैं।
यह भी है कि महिलाएं यहां खासी जागरूक हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हलके विशेष में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है। लोकसभा चुनाव के अलावा विधानसभा में भी स्थिति ज्यादा ठीक नहीं रही। खासतौर पर मंडी संसदीय क्षेत्र से किसी महिला को मंत्री बनाने में दोनों दलों ने कंजूसी ही बरती है। अब तक हुए 18 चुनावों में दो ही महिलाओं को इस सीट से टिकट दिया गया है। दोनों ही महिलाओं को टिकट देने का कीर्तिमान कांग्रेस के नाम ही है।
देश के पहले चुनाव में इस सीट से कांग्रेस टिकट पर राजकुमारी अमृत कौर ही सांसद बनी थीं। वे देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री भी बनीं। उसके बाद ये राजघराने की ही सीट रही ज्यादा समय। बाद में वीरभद्र सिंह सांसद बनते रहे। वर्ष 1998 में वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया गया। जाहिर है ये सियासत की बात थी न कि महिला सशक्तिकरण की। कारण, उस समय विधानसभा चुनाव भी साथ ही थे और वीरभद्र सिंह मंडी से चुनाव नहीं लड़ सकते थे। लेकिन वे जीत दर्ज नहीं कर सकीं।
उसके बाद 2004 में भी रानी प्रतिभा सिंह ही कांग्रेस प्रत्याशी बनीं क्योंकि तब वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार जीत भी दर्ज की। 2009 के चुनाव हुए तो तब कांग्रेस प्रदेश की सत्ता से बाहर हो चुकी थी। यही कारण है कि वीरभद्र सिंह खुद चुनाव लड़े न कि प्रतिभा सिंह को टिकट दिया गया। 2013 के उपचुनाव में वीरभद्र सिंह सीएम थे सो दोबारा रानी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया गया। ऐसा ही 2014 में हुआ। तब भी इसलिए टिकट मिली क्योंकि वीरभद्र सिंह सीएम थे।
इस उपचुनाव में भी रानी प्रतिभा सिंह को इसलिए टिकट देना पड़ा क्योंकि और कोई चेहरा पार्टी के पास था भी नहीं। भाजपा ने तो खैर कभी किसी महिला को टिकट देना ठीक ही नहीं समझा। हालांकि इस बार इस सीट के लिए बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत का नाम खूब सुर्खियों में रहा। खासतौर पर सोशल मीडिया में कंगना को लेकर बहुत बातें होती रहीं।
मंडी हलके से धनेश्वरी ठाकुर, पायल वैद्य, अर्चना ठाकुर, प्रियंता शर्मा, मांचली, सुमन ठाकुर, पूजा वालिया, सुषमा मखैक और नीना शर्मा आदि महिला नेत्रियां सक्रिय हैं लेकिन पार्टी टिकट तक बात नहीं पहुंची।
संख्या में पुरुष और महिला मतदाता बराबर
इस संसदीय क्षेत्र से कुल 12 लाख 99 हजार 563 मतदाता हैं। इनमें 6 लाख 47 हजार 588 पुरुषों के मुकाबले 6 लाख 38 हजार 642 महिला मतदाता हैं। कह सकते हैं कि पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या बराबर सी है। बावजूद इसके पार्टियों ने यहां महिलाओं को उस तरह से तरजीह नहीं दी।