विनय महाजन। नूरपुर
कोविड-19 की मार झेल रहे प्रदेश के निचले क्षेत्र की प्रमुख फसल आम और लीची के फल को बाहरी राज्यों में निर्यात के लिए सरकार द्वारा यदि समय रहते जरूरी कदम न उठाए गए तो इसका भारी खामियाजा क्षेत्रीय बागवानों को भुगतना पड़ सकता है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय महाजन ने कहा कि अपर हिमाचल की प्रमुख फसल सेब की तर्ज पर लोअर बेल्ट की आम और लीची भी बहुत बड़ी फसल है जिससे निचले क्षेत्र के हजारों-बागवानों की आर्थिक स्थिति निर्भर रहती है।
प्राकृतिक आपदा, बिगड़े मौसम और कोरोना वायरस की मार ने पहले ही बागवानों का बहुत नुकसान किया है। क्षेत्र में इस साल बंपर उत्पादन होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है। यदि समय रहते इन फलों के निर्यात और बाहरी राज्यों के व्यापारियों के लिए रणनीति नहीं बनाई गई तो बागवानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ेगा। महाजन ने कहा कि विगत में हिमाचल की इस फसल के फल हिमाचल के साथ-साथ बाहरी राज्यों पंजाब, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर के लिए भी निर्यात होते रहे हैं।
इसमें या तो बागवान स्वयं इन्हें बाहरी राज्यों में ले जाकर बेचते थे या फिर बाहरी राज्यों के व्यापारी यहां आकर बागीचे खरीदते थे, लेकिन इस बार कोविड-19 के प्रकोप के चलते न तो स्थानीय व्यापारी बागीचों को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और न ही इस बार बाहरी राज्यों के व्यापारी आ पाए हैं। ऐसे में चिंता इस बात को लेकर है कि लोअर बेल्ट की इस प्रमुख फसल का निर्यात कैसे होगा।
महाजन ने कहा कि या तो सरकार स्वयं खरीद केंद्र स्थापित कर फलों को बाहरी राज्यों में निर्यात करने का जिम्मा उठाकर पर्याप्त मूल्य अदा करने की रणनीति बनाए या फिर बाहरी राज्यों के व्यापारियों के लिए हिमाचल में आने के लिए उचित एडवाइजरी जारी करे, ताकि असमंजस की स्थिति को समय रहते संभाल लिया जाए।
महाजन ने कहा कि विगत दिनों नूरपुर क्षेत्र की कुछ पंचायतों में हुई भारी ओलावृष्टि से आम, लीची, आड़ू, प्लम आदि फलों को भारी नुकसान हुआ था जिसमें बागवानों को 90 फीसदी नुकसान उठाना पड़ा था। नुकसान के आकलन की रिपोर्ट भी सरकार को पहुंच चुकी है लेकिन नुकसान से पीडि़तों के अभी भी हाथ खाली हैं। महाजन ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्राकृतिक आपदा के चलते बागवानों के हुए भारी नुकसान का मुआवजा सरकार को अतिशीघ्र जारी करना चाहिए।