छात्रवृत्ति घोटाला :
पंजाब के सीएम ऑफिस से भी सेक्रेटरी को आया कॉल
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला :करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई की ओर से की गई गिरफ्तारियों ने कइयों के होश उड़ा दिए हैं। इससे यह भी साबित हो गया है कि इस घोटाले का सारा खेल शिक्षा निदेशालय से ही चल रहा था। अब तक जांच एजेंसी ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है।
इनमें उच्च शिक्षा विभाग के अधीक्षक ग्रेड 2 अरविंद राजटा, केसी ग्रुप के वाइस चांसलर हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर एसपी सिंह शामिल हैं। लेकिन जांच एजेंसी का कहना है कि जब तक शिक्षा निदेशालय से कोई मदद न मिलती, तब तक बैंक या शिक्षण संस्थान गड़बड़ी नहीं कर सकते थे। इधर हैरतअंगेज खुलासा यह है कि इस केस की जांच करने वाले पूर्व शिक्षा सचिव
डॉ. अरुण शर्मा ने शक होने पर इस अधीक्षक का तबादला शिक्षा निदेशालय से किया था।
इसके तबादले को रुकवाने के लिए ही 7 नेता खड़े हो गए। इनमें से अधिकांश शिमला जिले के हैं और दोनों दलों के हैं। 2 कैबिनेट मंत्रियों ने भी तबादला रद करने के लिए फोन किए। यह कम हैरानी भरा नहीं है कि एक सुपरिंटेंडेंट के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय से भी सचिव को फोन आया कि तबादला रद कर इन्हें दोबारा निदेशालय में लगाएं। यह प्रतिक्रिया देख तत्कालीन सचिव ने इस तबादले को रद नहीं किया और तत्कालीन मुख्य सचिव विनीत चौधरी को भरोसे में लिया, ताकि दबाव को झेला जा सके।
तबादला शिमला शहर में ही किया गया था, लेकिन यह झगड़ा ट्रिब्यूनल तक गया। इसी बीच सचिव ने अधीक्षक की संपत्ति की अनौपचारिक जांच करवाई तो होश उड़ाने वाले तथ्य मिले। इसके बाद ही इस केस की विभागीय जांच तेज हुई थी।
जांच में सीबीआई को पता चला है कि मर्जी के निजी शिक्षण संस्थानों को स्कॉलरशिप रिलीज करने के लिए अन्य संस्थानों के आवेदन पर पोर्टल के जरिये गैर जरूरी आपत्तियां लगाकर उन्हें इसकी चिट्ठी पोस्ट की जाती थी, ताकि जो समय बीच में मिले, उसमें पैसा किसी और संस्थान को दिया जा सके। तत्कालीन शिक्षा सचिव और मुख्य सचिव ने ही सरकार को राजी किया कि इस केस की जांच केवल सीबीआई के जरिये हो सकती है, क्योंकि शिक्षण संस्थान राज्य के बाहर भी हैं।
कोर्ट ने चारदिन के रिमांड पर भेजे घोटाले के आरोपी
छात्रवृत्ति घोटाले में शनिवार को तीनों आरोपियों को शिमला स्थित सीबीआई कोर्ट में पेश कर 4 दिन के रिमांड पर भेज दिया। 8 जनवरी को सभी आरोपियों को फिर से सीबीआई कोर्ट में पेश कर आगामी कार्रवाई की जाएगी। छात्रवृत्ति के इस खेल में 7 से 8 मुख्य आरोपियों को सीबीआई कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।
करोड़ों रुपये की इस स्कॉलरशिप को फर्जी बैंक खाता और फर्जी प्रवेश के माध्यम से हड़पने वाले कई निजी शिक्षण संस्थानों पर सीबीआई की पैनी नजर है। उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अधिकारियों सहित छात्रवृत्ति ब्रांच में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी। छात्रवृत्ति घोटाले मामले में निजी शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के कुछ अधिकरी और कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
एक प्रधान सचिव और दो निदेशक भी शक के दायरे में
सीबीआई के हाथ अब तक आए दस्तावेजों में एक प्रधान सचिव स्तर के अफसर का रोल भी लग रहा है। ये अकेले अफसर हैं, जिनके फाइल पर रिकॉर्डिड आदेश हैं कि फ्लां निजी शिक्षण संस्थानों को स्कॉलरशिप रिलीज की जाए, जबकि इन्होंने इसे जारी करने की प्रक्रिया या उठ रहे संदेहों पर कभी कोई सवाल फाइल पर या विभाग से नहीं किया।
इस दौरान उच्च शिक्षा विभाग में निदेशक रहे दो अफसरों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। इन्होंने स्कॉलरशिप को कभी किसी ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के अफसर के हवाले करने की जहमत नहीं उठाई और एक अधीक्षक ही अपने स्तर पर सबकुछ करता रहा। 2013-14 से लेकर 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं हुई।