देवेंद्र सूद। गगरेट
एक तरफ लोग महंगी दवाइयों का रोना रोते हैं और इलाज के लिए मजबूरन महंगी दवाइयां खरीद कर अपना इलाज़ करवाते हैं, तो दूसरी तरफ लाखों रुपये की दवा एक्सपायर हो रही है।
ये कारनामा है गगरेट सिविल अस्पताल का। ईएसआई के तहत प्रशासन को मिलने वाली दवाइयां जो मरीजों के लिए निशुल्क आती हैं, उसे कचरे में फेंका जा रहा है। इनमें अधिकतर दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं, तो कुछ दवाइयां जो एक्सपायर नहीं हैं, उन्हें फरवरी 2022 तक उपयोग किया जा सकता है, वे भी इसी तरह कचरे के ढेर में बदल दी गई हैं।
हिमाचल दस्तक द्वारा लगातार अस्पताल प्रशासन की अव्यवस्थाओं को लेकर समाचार प्रकाशित करने पर अस्पताल प्रशासन ने शुक्रवार रात को बड़ी मात्रा में दवाइयों की खेप को ठिकाने लगा दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो दवा एक्सपायर होने का एक कारण ये भी है कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची को दवा केंद्र पर फार्मिस्ट की कुर्सी पर बैठी लड़की को पर्ची पढऩा ही नहीं आती और बाहर से दवा लेने को बोल देती है।
हालांकि हिमाचल दस्तक द्वारा लड़की के बारे में जब पड़ताल की गई, तो पता चला कि वह फार्मासिस्ट है ही नहीं। हिमाचल दस्तक द्वारा मामला संज्ञान में लाने पर अस्पताल प्रबंधन ने उक्त कुर्सी पर एक नर्स को बैठाया। यही वजह है कि मरीजों को दवाएं न दिए जाने के कारण इस तरह दवाइयों का स्टॉक बढ़ता जा रहा है और उन्हें कचरे में फेंक दिया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार कथित तौर पर रात के अंधेरे में एक्सपायर दवाइयां ठिकाने लगा दी जाती हैं और लोग मजबूर होकर बाहर से दवाइयां खरीदते हैं।
उधर, डायरेक्टर हेल्थ सेफ्टी व रेगुलेशन सुमित खिमटा ने बताया कि मामला उनके ध्यान में लाया गया है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी, जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।