हिमाचल दस्तक ब्यूरो। बिलासपुर
एक तरफ प्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर सेवाएं एवं शासन देने के दावे कर रही है, तो दूसरी ओर बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल प्रबंधन पिछले 5 साल से मिनिस्ट्रियल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है, जिससे सरकार के दावों की पोल खुल रही है।
इस कारण अस्पताल प्रबंधन के कार्यों को अमलीजामा पहनाने में अक्सर देरी हो जाती है। इसका खामियाजा वहां पर काम करने वाले स्टाफ के अलावा आम जनता को भुगतना पड़ रहा हैै।
क्षेत्रीय अस्पताल के लगभग 150 कर्मचारियों व अधिकारियों के लेखे-जोखे का काम मात्र 2 कर्मचारियों के सहारे है। इनमें चिकित्सक, स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, चालक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2016 मेें क्षेत्रीय अस्पतालों के बेहतर प्रबंधन के लिए मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के पद की व्यवस्था की गई। वहां के स्टाफ को भी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के अधीन किया गया था।
उस समय केवल दो लिपिकीय वर्ग के कर्मचारियों की व्यवस्था की गई, लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बाद न तो विभाग के उच्च अधिकारियों और न सरकार ने क्षेत्रीय अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट स्टाफ के लिए और स्टाफ बढ़ाने की ओर ध्यान दिया।
उधर, बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल के एमएस डॉ. एनके भारद्वाज का कहना है कि बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल में कामकाज के लिए 2 नियमित कर्मचारियों के पद सृजित किए गए हैं, जबकि जरूरत और कर्मचारियों की है। कर्मचारियों की कमी से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
हालांकि इन दिनों 2-3 कर्मचारी सीएमओ कार्यालय से प्रतिनियुक्ति पर बुलाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।