राजेश मंढोत्रा। शिमला:
किसानों और बागवानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर बदले जा रहे राज्य मार्केटिंग बोर्ड एक्ट पर कृषि मंत्री का अपना ही विभाग ‘बागी’ हो गया है।
मंत्री की ही नहीं, इस मसले पर विभाग विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी की सिफारिशें भी मानने को तैयार नहीं। सिलेक्ट कमेटी ने ये सिफारिशें 13 दिसंबर, 2019 को धर्मशाला में हुए शीत सत्र के दौरान सदन में रखी हैं। झगड़े की वजह है एक मुख्य सिफारिश कि मार्केटिंग बोर्ड का चेयरमैन कृषि मंत्री को बनाया जाए। चूंकि सिलेक्ट कमेटी के सभापति भी खुद कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय थे, इसलिए कृषि विभाग ने इन सिफारिशों को खारिज करते हुए अब विधि विभाग में फाइल भेजी है।
इसके कहा गया है कि कुछ नए संशोधनों के साथ बिल को दोबारा विधानसभा में रखने की अनुमति दी जाए। लॉ ने दोनों सिफारिशों में विरोधाभास को देखते हुए विभाग को कहा है कि पहले इस बारे में कैबिनेट की मंजूरी ली जाए, क्योंकि पहले विधेयक का ड्राफ्ट भी कैबिनेट से अप्रूव हुआ था। अब आगामी कैबिनेट में इस पर फैसला होगा।
राज्य में मार्केटिंग बोर्ड एक्ट के तहत करीब 9.61 लाख किसान-बागवान आते हैं। दरअसल सदन में 31 अगस्त, 2019 को रखे गए विधेयक में प्रावधान था कि बोर्ड का अध्यक्ष वो होगा, जिसे सरकार नियुक्त करेगी। उपाध्यक्ष सहित 20 अन्य सदस्यों का प्रावधान भी इसमें रखा गया है।
सरकार ने पहले ही मार्केटिंग बोर्ड अध्यक्ष के पद पर सिरमौर से भाजपा नेता बलदेव भंडारी को नियुक्त किया हुआ है। लेकिन कृषि मंत्री चाहते हैं कि मार्केटिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी वही हों। यही सिफारिश सिलेक्ट कमेटी ने भी कर दी, लेकिन इसे मानने के लिए अब कृषि विभाग तैयार नहीं। कृषि मंत्री डॉ. मार्कंडेय अपने अफसरों के साथ आजकल इटली और रोम के दौरे पर हैं, इसलिए उनसे बात नहीं हो पाई।
सिलेक्ट-मार्केटिंग कमेटी की सिफारिशें
सिलेक्ट कमेटी के सभापति कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय थे, जबकि सदस्यों में कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी, विक्रमादित्य सिंह, नंदलाल, भाजपा विधायक सुखराम, बलबीर सिंह वर्मा, जीतराम कटवाल और राकेश जमवाल शामिल थे। कमेटी ने सिफारिशें दीं कि मार्केट कमेटी के सदस्य किसानों द्वारा प्रत्यक्ष वोटिंग से चुने जाएं और बोर्ड का चेयरमैन मंत्री को बनाया जाए। के्रताओं को इंटर स्टेट लाइसेंस जल्द दिए जाएं और हर मार्केट यार्ड में एक ऐसा दफ्तर बनाया जाए जहां रोज एक डेजीग्नेटिड अफसर रहे, जो किसानों से धोखाधड़ी पर नजर रखे। पेनल्टी क्लाज की समय सीमा निर्धारित हो और ई-ट्रेडिंग के लिए अलग नियम बनें।
टाइमलाइन : कब, क्या हुआ?
31 अगस्त, 2019 हिमाचल प्रदेश कृषि उपज विपणन विधेयक सदन में रखा गया। चर्चा में विधायकों राकेश सिंघा, सुखविंदर सुक्खू, राकेश पठानिया आदि के सुझाव के बाद मुख्यमंत्री ने इसे सिलेक्ट कमेटी को रेफर कर दिया।
31 अगस्त, 2019: विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने उसी दिन सिलेक्ट कमेटी का गठन किया और यह विधेयक इस कमेटी को सौंप दिया।
31 अक्तूबर, 2019 : सिलेक्ट कमेटी की पहली बैठक इस विधेयक के प्रावधानों पर हुई और मार्केटिंग बोर्ड एक्ट से संबंधित जानकारी कमेटी ने ली।
29 नवंबर, 2019 : सिलेक्ट कमेटी की दूसरी बैठक इस विधेयक पर हुई और सचिव कृषि और सचिव विधि को बुलाकर उनसे सवाल पूछे गए।
13 दिसंबर, 2019 : धर्मशाला में हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सिलेक्ट कमेटी की सिफारिशें राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद सदन में रखीं।