सचिन ओबरॉय। पांवटा साहिब:
इसे चमत्कार कहेंं या कुछ और कि एक शिक्षक की आवाज 2 दशक के बाद लौट आई। अब वह शिक्षक बोलकर बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ा रहे हैं। मामला पांवटा साहिब के राजकीय उच्च विद्यालय टोकियो का है। पांवटा साहिब क्षेत्र के गांव कोटड़ी ब्यास के गोपाल चंद टोकियो स्कूल मे भाषा अध्यापक के तौर पर तैनात हैं।
करीब 19 वर्ष पहले गोपाल चंद की आवाज अचानक चली गई थी, जिसका पीजीआई चंडीगढ़ तक उपचार करवाया, लेकिन कोई बीमारी न होने के कारण चिकित्सकों को इसकी वजह समझ नहीं आ सकी थी। परंतु एक प्रकार से मौन रहकर भी शिक्षक गोपाल चंद ने बच्चों को पढ़ाने का कार्य बखूबी किया। अब करीब दो दशक बाद एक चमत्कार या ईश्वरीय कृपा से कुछ माह पूर्व उनकी आवाज लौट आई है। अब वह अच्छी तरह से बोल सकते हैं और बच्चों को पहले से अधिक अच्छी तरह समझा सकते हैं।
आप बीती सुनाते हुए शिक्षक गोपाल चंद ने बताया कि करीब 19 साल पहले वह पांवटा साहिब के शिवपुर स्कूल में तैनात थे। एक दिन जब सुबह उठे तो पाया कि उनकी आवाज बंद हो चुकी है, जिसका मेडिकल कॉलेज नाहन सहित पीजीआई चंडीगढ़ व अन्य कई बड़े मेडिकल संस्थानों में काफी इलाज कराया, परंतु कोई भी बीमारी न पाए जाने के कारण डॉक्टरों को कुछ समझ नहीं आ पाया।
वह अपने कत्र्तव्य को पूर्ण निष्ठा से निभाते रहे। इस घटना के करीब 19 वर्ष बाद कुछ माह पहले ईश्वरीय कृपा से उनकी आवाज लौट आई। एक रोज सुबह उठते ही उन्होंने पाया कि उनकी आवाज ठीक हो गई है जोकि एक अविश्वसनीय चमत्कार था। उन्होंने बताया कि पहले वह केवल ब्लैक बोर्ड व कागज पर लिखकर ही बच्चों को पढ़ा पाते थे, लेकिन अब उन्हें खुशी है कि उनकी आवाज लौट आने से बच्चों को समझाने के लिए पहले से कम मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि बोल न पाने की वजह से बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं रही थी और उनकी जीतोड़ मेहनत से परीक्षा परिणाम भी 80 प्रतिशत से ऊपर ही रहा। अब उनकी आवाज आने से बच्चों में भी खुशी का माहौल है।
राजकीय उच्च विद्यालय टोक्यो के मुख्य अध्यापक देवेंद्र सिंह बताते हैं कि गोपाल चंद यहां वर्ष 2008 से बतौर भाषा अध्यापक तैनात हैं। आवाज न होने के बावजूद भी उनका बच्चों को पढ़ाना और हर चीज को लिखकर समझाना बहुत ही अद्भुत था, जिसे देखकर सभी स्तब्ध रह जाते थे। कुछ माह पहले अचानक उनकी आवाज लौट आने से छात्रों व घर परिवार सहित शिक्षकों में खुशी की लहर है।